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Collection: शौक Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 15 - Darsaal

शौक Poetry (page 15)

कभी ग़मी के नाम पर कभी ख़ुशी की आड़ में

शाहिद फ़रीद

जुनून-ए-शौक़ की राहों में जब अपने क़दम निकले

शाहिद भोपाली

जब अपना मुक़द्दर ठहरे हैं ज़ख़्मों के गुलिस्ताँ और सही

शाहिद अख़्तर

मिज़ाज-ए-गर्दिश-ए-दौराँ वही समझते हैं

शाहीन ग़ाज़ीपुरी

मैं हुआ तेरा माजरा तू मिरा माजरा हुआ

शाहीन अब्बास

वफ़ा का शौक़ ये किस इंतिहा में ले आया

शहबाज़ ख़्वाजा

हम क़ुव्वत-ए-जज़्ब-ए-दिल दिखाएँ

शहाबुद्दीन साक़िब

रुत्बा-ए-दर्द को जब अपना हुनर पहुँचेगा

शहाब जाफ़री

हवस-ए-ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर लिए बैठे हैं

शहाब जाफ़री

मय-कशी का है ये शौक़ उस को कि आईने में

शाह नसीर

न ज़िक्र-ए-आश्ना ने क़िस्सा-ए-बेगाना रखते हैं

शाह नसीर

है अयाँ रू-ए-यार आँखों में

शाह आसिम

चर्चे हर इक ज़बान पे हुस्न-ए-बुताँ के हैं

शाग़िल क़ादरी

क़ुर्बत-ए-हुस्न में भी दर्द के आसार मिले

शफ़क़त तनवीर मिर्ज़ा

सर में एक सौदा था बाम-ओ-दर बनाने का

शफ़ीक़ सलीमी

कब से इस दुनिया को सरगर्म-ए-सफ़र पाता हूँ मैं

शफ़ीक़ जौनपुरी

दीवानगी-ए-शौक़ का सामाँ सजा के ला

शफ़ीक़ देहलवी

सर-ए-तस्लीम ख़म करना पड़ा तक़्सीर से पहले

शायर फतहपुरी

जो कैफ़-ए-इश्क़ से ख़ाली हो ज़िंदगी किया है

शायर फतहपुरी

हम उन से कर गए हैं किनारा कभी कभी

शादाँ इंदौरी

जों सब्ज़ा रहे उगते ही पैरों के तले हम

शाद लखनवी

मिलेगा ग़ैर भी उन के गले ब-शौक़ ऐ दिल

शाद अज़ीमाबादी

ऐ शौक़ पता कुछ तू ही बता अब तक ये करिश्मा कुछ न खुला

शाद अज़ीमाबादी

तेरी ज़ुल्फ़ें ग़ैर अगर सुलझाएगा

शाद अज़ीमाबादी

क्या फ़क़त तालिब-ए-दीदार था मूसा तेरा

शाद अज़ीमाबादी

काबा ओ दैर में जल्वा नहीं यकसाँ उन का

शाद अज़ीमाबादी

जिए जाएँगे हम भी लब पे दम जब तक नहीं आता

शाद अज़ीमाबादी

ग़म-ए-फ़िराक़ मय ओ जाम का ख़याल आया

शाद अज़ीमाबादी

ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम

शाद अज़ीमाबादी

ऐ बुत जफ़ा से अपनी लिया कर वफ़ा का काम

शाद अज़ीमाबादी

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