रेगिस्तान Poetry (page 26)
दश्त-ओ-सहरा में हसीं फिरते हैं घबराए हुए
हबीब मूसवी
दिल-ए-तन्हा में अब एहसास-ए-महरूमी नहीं शायद
हबीब हैदराबादी
फिरता हूँ मैं घाटी घाटी सहरा सहरा तन्हा तन्हा
ग्यान चन्द
उड़ना तो बहुत उड़ना अफ़्लाक पे जा रहना
गुलज़ार वफ़ा चौदरी
आँधी में बिसात उलट गई है
गुलज़ार बुख़ारी
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
गुलज़ार
हमें भी अब दर ओ दीवार घर के याद आए
गुलनार आफ़रीन
न पूछ ऐ मिरे ग़म-ख़्वार क्या तमन्ना थी
गुलनार आफ़रीन
दिल ने इक आह भरी आँख में आँसू आए
गुलनार आफ़रीन
कितने दरिया इस नगर से बह गए
गुलाम जीलानी असग़र
जफ़ा-ए-दिल-शिकन
ग़ुलाम दस्तगीर मुबीन
जिस तरफ़ भी देखिए साया नहीं
गुहर खैराबादी
क्यूँकर न ख़ुश हो सर मिरा लटक्का के दार में
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
शेर जब खुलता है खुलते हैं मआनी क्या क्या
गोविन्द गुलशन
मेरा साक़ी है बड़ा दरिया-दिल
गोपाल मित्तल
एक नज़्म
गोपाल मित्तल
अपने अंजाम से डरता हूँ मैं
गोपाल मित्तल
तेरे मेरे ख़्वाब जुदा
गिरिजा व्यास
आँख में आँसू ठहरा है
गिरिजा व्यास
शक्ल सहरा की हमेशा जानी-पहचानी रहे
ग़ुलाम मुर्तज़ा राही
कहने सुनने का अजब दोनों तरफ़ जोश रहा
ग़ुलाम मुर्तज़ा राही
हैं और कई रेत के तूफ़ाँ मिरे आगे
ग़ुलाम मुर्तज़ा राही
नहीं अब रोक पाएगी फ़सील-ए-शहर पानी को
ग़ुलाम हुसैन साजिद
मिरी विरासत में जो भी कुछ है वो सब इसी दहर के लिए है
ग़ुलाम हुसैन साजिद
लरज़ जाता है थोड़ी देर को तार-ए-नफ़स मेरा
ग़ुलाम हुसैन साजिद
ख़ुदा-ए-बर्तर ने आसमाँ को ज़मीन पर मेहरबाँ किया है
ग़ुलाम हुसैन साजिद
ज़ीस्त का ख़ाली कटोरा आप ही भर जाएगा
ग़ुलाम हुसैन अयाज़
अजीब शख़्स है पहले मुझे हँसाता है
ग़ज़नफ़र
ज़मीं के साथ फ़लक के सफ़र में हम भी हैं
ग़यास मतीन
ख़्वाब आँखों की गली छोड़ के जाने निकले
ग़यास मतीन
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