रेगिस्तान Poetry (page 19)
घर में दस हों तो ये रौनक़ नहीं होगी घर में
रियाज़ ख़ैराबादी
मुँह ज़ेर-ए-ताक खोला वाइज़ बहुत ही चूका
रियाज़ ख़ैराबादी
ख़्वाब में भी नज़र आ जाए जो घर की सूरत
रियाज़ ख़ैराबादी
क़ैस समझा मिरी लैला की सवारी आई
रिन्द लखनवी
चलती रही उस कूचे में तलवार हमेशा
रिन्द लखनवी
शहर-ए-शोर-ओ-शर तन्हा घर के बाम-ओ-दर तन्हा
रिफ़अत सरोश
न कोई दोस्त न दुश्मन अजीब दुनिया है
रिफ़अत सरोश
अच्छा ये करम हम पे तो सय्याद करे है
रिफ़अत सरोश
जुनून-ए-इश्क़ में सद-चाक होना पड़ता है
रेहाना रूही
हसीन दुनिया उजड़ गई तो
रेहान अल्वी
हर आने वाले पल से डर रहा हूँ
रज़्ज़ाक़ अरशद
बयाबाँ हो कि सहरा हो मुझे तेरा सहारा हो
रज़िया हलीम जंग
शब ज़रा देर से गुज़रेगी न घबरा ऐ दिल
रज़ी रज़ीउद्दीन
कैसे इस शहर में रहना होगा
राज़ी अख्तर शौक़
फिर राह दिखा मुझ को ऐ मशरब-ए-रिंदाना
रज़ा जौनपुरी
ये किस मक़ाम पे ठहरा है कारवान-ए-वफ़ा
रज़ा हमदानी
किस लिए सहरा के मुहताज-ए-तमाशा होजिए
रज़ा अज़ीमाबादी
गुमाँ हद्द-ए-नज़र तक क्या था लेकिन क्या नज़र आया
रौनक़ नईम
ब-नाम-ए-पैकर-ख़ाकी न गर्द बन जाओ
रौनक़ दकनी
आज़ार-ए-दिल से रंग-ए-तबीअ'त बदल गया
रऊफ़ यासीन जलाली
रीत तन्हाई फ़ासला सहरा
रउफ़ ख़लिश
किस की आँखों की हिदायत से मुझे देखता है
राशिद तराज़
अपने बीमार सितारे का मुदावा होती
राशिद तराज़
ये न सोचा था कड़ी धूप से रिश्ता भी तो है
राशिद अनवर राशिद
उड़ती रहती थी सदा ख़ित्ता-ए-वीरान में ख़ाक
राशिद अनवर राशिद
सुब्ह-ए-क़यामत जिन होंटों पे दिलासे देखे
राशिद आज़र
मुंतज़िर आँखों में जमता ख़ूँ का दरिया देखते
राशिद आज़र
उठ गई आज चाँद की डोली
रशीद क़ैसरानी
सहरा सहरा बात चली है नगरी नगरी चर्चा है
रशीद क़ैसरानी
चाहत का संसार है झूटा प्यार के सात-समुंदर झूट
रशीद क़ैसरानी
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