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Collection: सहर Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 30 - Darsaal

सहर Poetry (page 30)

बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे

चरख़ चिन्योटी

बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे

चरख़ चिन्योटी

हल्की हल्की बूँदें बरसीं पंछी करें कलोल

चमन लाल चमन

ख़ाक-ए-हिंद

चकबस्त ब्रिज नारायण

नए झगड़े निराली काविशें ईजाद करते हैं

चकबस्त ब्रिज नारायण

मिरी बे-ख़ुदी है वो बे-ख़ुदी कहीं ख़ुदी का वहम-ओ-गुमाँ नहीं

चकबस्त ब्रिज नारायण

कुछ ऐसा पास-ए-ग़ैरत उठ गया इस अहद-ए-पुर-फ़न में

चकबस्त ब्रिज नारायण

फ़ना का होश आना ज़िंदगी का दर्द-ए-सर जाना

चकबस्त ब्रिज नारायण

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना

चकबस्त ब्रिज नारायण

दिल के ज़ख़्मों की चुभन दीदा-ए-तर से पूछो

बुशरा हाश्मी

ज़ौ-बार इसी सम्त हुए शम्स-ओ-क़मर भी

ब्रहमा नन्द जलीस

वो अक्स बन के मिरी चश्म-ए-तर में रहता है

बिस्मिल साबरी

ये कह के देती जाती है तस्कीं शब-ए-फ़िराक़

बिस्मिल अज़ीमाबादी

निगाह-ए-क़हर होगी या मोहब्बत की नज़र होगी

बिस्मिल अज़ीमाबादी

मेरी दुआ कि ग़ैर पे उन की नज़र न हो

बिस्मिल अज़ीमाबादी

अब दम-ब-ख़ुद हैं नब्ज़ की रफ़्तार देख कर

बिस्मिल अज़ीमाबादी

दुनिया में वफ़ा-केश बशर ढूँढ रहा हूँ

बिर्ज लाल रअना

आप अपने रक़ीब हैं हम लोग

बिर्ज लाल रअना

कैसे कहें कि चार तरफ़ दायरा न था

बिमल कृष्ण अश्क

यही इक मश्ग़ला शाम-ओ-सहर है

बिल्क़ीस बेगम

शाम से हम ता सहर चलते रहे

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

देता था जो साया वो शजर काट रहा है

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

मुसाफ़िरों का यहाँ से गुज़र नहीं है क्या

बिल्क़ीस ख़ान

दिल आतिश-ए-हिज्राँ से जलाना नहीं अच्छा

भारतेंदु हरिश्चंद्र

बैठे जो शाम से तिरे दर पे सहर हुई

भारतेंदु हरिश्चंद्र

वो देखते जाते हैं कनखियों से इधर भी

बेख़ुद देहलवी

दिल है मुश्ताक़ जुदा आँख तलबगार जुदा

बेख़ुद देहलवी

दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर

बेख़ुद देहलवी

बात करने की शब-ए-वस्ल इजाज़त दे दो

बेख़ुद देहलवी

तुम्हारे हुस्न की तस्ख़ीर आम होती है

बहज़ाद लखनवी

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