सहर Poetry (page 17)

हिसाब-ए-शब

सहर अंसारी

रास्तों में इक नगर आबाद है

सहर अंसारी

रास्तों में इक नगर आबाद है

सहर अंसारी

न किसी से करम की उम्मीद रखें न किसी के सितम का ख़याल करें

सहर अंसारी

हवस ओ वफ़ा की सियासतों में भी कामयाब नहीं रहा

सहर अंसारी

तख़्लीक़ अँधेरों से किए हम ने उजाले

साग़र निज़ामी

पनघट की रानी

साग़र निज़ामी

सदियों की शब-ए-ग़म को सहर हम ने बनाया

साग़र निज़ामी

जाना जाना जल्दी क्या है इन बातों को जाने दो

सफ़ी लखनवी

मुसव्विर अपने तसव्वुर का ढूँढता है दवाम

सईदुल ज़फर चुग़ताई

सफ़र ला सफ़र

सईद अहमद

डूबते सूरज की सरगोशी

सईद अहमद

इस एहतिमाम से परवाने पेशतर न जले

सादिक़ नसीम

कैसे सच से रहे बे-ख़बर आइना

सचिन शालिनी

काम इतनी ही फ़क़त राहगुज़र आएगी

साबिर ज़फ़र

वो फूल था जादू-नगरी में जिस फूल की ख़ुश्बू भाई थी

साबिर वसीम

उस जंगल से जब गुज़रोगे तो एक शिवाला आएगा

साबिर वसीम

अजनबी

साबिर दत्त

फूल बिखराती हर इक मौज-ए-हवा आती है

साबिर दत्त

नग़्मा-ज़न है नज़र-ए-बे-आवाज़

सबा नक़वी

ज़िंदगानी हँस के तय अपना सफ़र कर जाएगी

सबा इकराम

जो हमारे सफ़र का क़िस्सा है

सबा अकबराबादी

आईना बन जाइए जल्वा-असर हो जाइए

सबा अकबराबादी

ये जमाल क्या ये जलाल क्या ये उरूज क्या ये ज़वाल क्या

सादुल्लाह शाह

ये सिलसिला-ए-शाम-ओ-सहर यूँही नहीं है

रूही कंजाही

वस्ल की रात के सिवा कोई शाम

रियाज़ ख़ैराबादी

मैं उठा रक्खूँ न कुछ इन के लिए

रियाज़ ख़ैराबादी

इश्क़ में दिल-लगी सी रहती है

रियाज़ ख़ैराबादी

दुनिया से अलग हम ने मयख़ाने का दर देखा

रियाज़ ख़ैराबादी

आरज़ू भी तो कर नहीं आती

रियाज़ ख़ैराबादी

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