सहर Poetry (page 14)

अजीब शाम थी जब लौट कर मैं घर आया

सीमान नवेद

आँगन से ही ख़ुशी के वो लम्हे पलट गए

सीमाब सुल्तानपुरी

वुसअतें महदूद हैं इदराक-ए-इंसाँ के लिए

सीमाब अकबराबादी

रस्मन ही उन को नाला-ए-दिल की ख़बर तो हो

सीमाब अकबराबादी

खो कर तिरी गली में दिल-ए-बे-ख़बर को मैं

सीमाब अकबराबादी

लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-अलम ही से सुकूँ आ जाए है

सय्यद जहीरुद्दीन ज़हीर

अश्क पीते रहे हर जाम पे हँसते हँसते

सय्यद ज़िया अल्वी

सफ़र-ब-ख़ैर प रख़्त-ए-सफ़र न ले जाना

सय्यद नसीर शाह

आसाँ तो न था धूप में सहरा का सफ़र कुछ

सौरभ शेखर

'सौदा' तिरी फ़रियाद से आँखों में कटी रात

मोहम्मद रफ़ी सौदा

मस्त-ए-सहर ओ तौबा-कुनाँ शाम का हूँ मैं

मोहम्मद रफ़ी सौदा

मगर वो दीद को आया था बाग़ में गुल के

मोहम्मद रफ़ी सौदा

ले दीदा-ए-तर जिधर गए हम

मोहम्मद रफ़ी सौदा

गुल फेंके है औरों की तरफ़ बल्कि समर भी

मोहम्मद रफ़ी सौदा

गुज़र चली है शब-ए-दिल-फ़िगार आख़िरी बार

सऊद उस्मानी

यूँ एहतिमाम-ए-रद्द-ए-सहर कर दिया गया

सत्तार सय्यद

यूँ एहतिमाम-ए-रद्द-ए-सहर कर दिया गया

सत्तार सय्यद

अपनी हम-ज़ाद के लिए

सरवत ज़ेहरा

कभी तेग़-ए-तेज़ सुपुर्द की कभी तोहफ़ा-ए-गुल-ए-तर दिया

सरवत हुसैन

बे-दिली में भी दिल बड़ा रखना

सरमद सहबाई

टूट के पत्थर गिरते रहते हैं दिन रात चटानों से

सरफ़राज़ आमिर

वस्ल की उम्मीद बढ़ते बढ़ते थक कर रह गई

साक़िब लखनवी

मैं नहीं कहता कि दुनिया को बदल कर राह चल

साक़िब लखनवी

ग़श भी आया मिरी पुर्सिश को क़ज़ा भी आई

साक़िब लखनवी

मिट जाएगा सेहर तुम्हारी आँखों का

साक़ी फ़ारुक़ी

ज़िंदा पानी सच्चा

साक़ी फ़ारुक़ी

वो सख़ी है तो किसी रोज़ बुला कर ले जाए

साक़ी फ़ारुक़ी

मैं फिर से हो जाऊँगा तन्हा इक दिन

साक़ी फ़ारुक़ी

हैं सेहर-ए-मुसव्विर में क़यामत नहीं करते

साक़ी फ़ारुक़ी

रौशनी तक रौशनी का रास्ता कह लीजिए

समद अंसारी

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