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Collection: सन्नाटा Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 5 - Darsaal

सन्नाटा Poetry (page 5)

गलियों की उदासी पूछती है घर का सन्नाटा कहता है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

गलियों की उदासी पूछती है घर का सन्नाटा कहता है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

तारीकी में नूर का मंज़र सूरज में शब देखोगे

ग़ज़नफ़र

कोई हमराह नहीं राह की मुश्किल के सिवा

ग़नी एजाज़

जुदाई

फ़िराक़ गोरखपुरी

सितारों से उलझता जा रहा हूँ

फ़िराक़ गोरखपुरी

एक नज़्म

फ़ज़्ल ताबिश

ये सन्नाटा बहुत महँगा पड़ेगा

फ़ज़्ल ताबिश

जिन ख़्वाबों से नींद उड़ जाए ऐसे ख़्वाब सजाए कौन

फ़ज़्ल ताबिश

हर नए मोड़ धूप का सहरा

फ़ारूक़ मुज़्तर

पेश-ओ-पस

फ़रहत एहसास

ख़ुद-आगही

फ़रहत एहसास

तन्हाई के आब-ए-रवाँ के साहिल पर बैठा हूँ मैं

फ़रहत एहसास

फिर वही मौसम-ए-जुदाई है

फ़रहत एहसास

तल्ख़ गुज़रे कि शादमाँ गुज़रे

फ़रीद जावेद

तल्ख़ गुज़रे कि शादमाँ गुज़रे

फ़रीद जावेद

तल्ख़ गुज़रे कि शादमाँ गुज़रे

फ़रीद जावेद

मंज़र-ए-वक़्त की यकसानी में बैठा हुआ हूँ

एजाज़ गुल

कतबा

एजाज़ फ़ारूक़ी

सभी सम्तों को ठुकरा कर उड़ी जाए

चंद्र प्रकाश शाद

कुछ ऐसा पास-ए-ग़ैरत उठ गया इस अहद-ए-पुर-फ़न में

चकबस्त ब्रिज नारायण

तुम याद मुझे आ जाते हो

बहज़ाद लखनवी

अक्स हर रोज़ किसी ग़म का पड़ा करता है

बशर नवाज़

वो नज़र आईना-फ़ितरत ही सही

बाक़ी सिद्दीक़ी

उन का या अपना तमाशा देखो

बाक़ी सिद्दीक़ी

ख़बर कुछ ऐसी उड़ाई किसी ने गाँव में

बाक़ी सिद्दीक़ी

गूँजता शहरों में तन्हाई का सन्नाटा तो है

बाक़र मेहदी

एक पुर-असरार सदा

बलराज कोमल

गुम हुए जाते हैं धड़कन के निशाँ हम-नफ़सो

बद्र-ए-आलम ख़लिश

धानी सुरमई सब्ज़ गुलाबी जैसे माँ का आँचल शाम

बद्र वास्ती

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