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Collection: सन्नाटा Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

सन्नाटा Poetry

ये सन्नाटा है मैं हूँ चाँदनी में

अमित सतपाल तनवर

अफ़्सूँ पहली बारिश का

मसूद मिर्ज़ा नियाज़ी

कितनी शिद्दत से तुझे चाहा था

महमूद शाम

काली आग

नायाब

हिज्र

हारिस ख़लीक़

आता है नज़र अंजाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

रात के पिछले पहर इक सनसनाहट सी हुई

ज़ुबैर शिफ़ाई

रात फिर दर्द बनी

ज़ुबैर रिज़वी

कभी ख़िरद से कभी दिल से दोस्ती कर ली

ज़ुबैर रिज़वी

पहले मुझ को भी ख़याल-ए-यार का धोका हुआ

ज़ेब ग़ौरी

मौज-ए-रेग सराब-सहरा कैसे बनती है

ज़ेब ग़ौरी

ख़ंजर चमका रात का सीना चाक हुआ

ज़ेब ग़ौरी

हवा में उड़ता कोई ख़ंजर जाता है

ज़ेब ग़ौरी

लायल-पूर के मच्छर

ज़रीफ़ जबलपूरी

तिरे फ़िराक़ में घुटनों चली है तन्हाई

ज़फ़र अहमद परवाज़

कोह-ए-निदा

वज़ीर आग़ा

कोई दस्तक कोई आहट न सदा है कोई

वसीम मलिक

हम-सफ़र तू ने परों को जो मिरे काटा है

वसीम मलिक

मौत की जुस्तुजू

वहीद अख़्तर

सर-ए-अफ़्लाक बिछा चाहती है

विकास शर्मा राज़

खोए हुए सहरा तक ऐ बाद-ए-सबा जाना

वारिस किरमानी

कर्ब-ए-तन्हाई

वली मदनी

बाहर बाहर सन्नाटा है अंदर अंदर शोर बहुत

उमर अंसारी

बाहर बाहर सन्नाटा है अंदर अंदर शोर बहुत

उमर अंसारी

शिद्दत-ए-इज़हार-ए-मज़मूँ से है घबराई हुई

तुफ़ैल बिस्मिल

गर्द-आलूद दरीदा चेहरा यूँ है माह ओ साल के ब'अद

तौसीफ़ तबस्सुम

एक सन्नाटा सा तक़रीर में रक्खा गया था

तसनीम आबिदी

सूरज सारा शहर डराता रहता है

तनवीर अंजुम

लम्हा-दर-लम्हा गुज़रता ही चला जाता है

तनवीर अहमद अल्वी

लम्हा-दर-लम्हा गुज़रता ही चला जाता है

तनवीर अहमद अल्वी

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