यात्रा Poetry (page 54)

हुसूल-ए-मंज़िल-ए-जाँ का हुनर नहीं आया

बख़्श लाइलपूरी

मर गए ऐ वाह उन की नाज़-बरदारी में हम

ज़फ़र

नवेद-ए-सफ़र

बद्र वास्ती

जो झुक के मिलते थे जलसों में मेहरबाँ की तरह

बदनाम नज़र

दीवार-ओ-दर का नाम था कोई मकाँ न था

बदनाम नज़र

मुझ को नहीं मालूम कि वो कौन है क्या है

बदीउज़्ज़माँ ख़ावर

हम ने आप के ग़म को हम-सफ़र बनाया है

बदर जमाली

घर में रहते हुए डर लगता है

बीएस जैन जौहर

घर में रहते हुए डर लगता है

बीएस जैन जौहर

इक हूक सी जब दिल में उट्ठी जज़्बात हमारे आ पहुँचे

बीएस जैन जौहर

मसअले ज़ेर-ए-नज़र कितने थे

अज़रा वहीद

ग़ुबार-ए-जाँ पस-ए-दीवार-ओ-दर समेटा है

अज़रा वहीद

किसी ख़याल की हिद्दत से जलना चाहती हूँ

अज़रा नक़वी

टूटी हुई रस्सी

अज़रा अब्बास

एक ज़िंदगी और मिल जाए

अज़रा अब्बास

एक नज़्म

अज़रा अब्बास

सारे दुख सो जाएँगे लेकिन इक ऐसा ग़म भी है

अज़्म शाकरी

ख़ाक उड़ाते हुए ये म'अरका सर करना है

अज़्म शाकरी

घर में चाँदी के कोई सोने के दर रख जाएगा

अज़्म शाकरी

अजीब हालत है जिस्म-ओ-जाँ की हज़ार पहलू बदल रहा हूँ

अज़्म शाकरी

कल सामने मंज़िल थी पीछे मिरी आवाज़ें

अज़्म बहज़ाद

वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिक्खा

अज़्म बहज़ाद

मैं ने चुप के अंधेरे में ख़ुद को रखा इक फ़ज़ा के लिए

अज़्म बहज़ाद

मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता

अज़्म बहज़ाद

जो यहाँ हाज़िर है वो मिस्ल-ए-गुमाँ मौजूद है

अज़्म बहज़ाद

बहुत क़रीने की ज़िंदगी थी अजब क़यामत में आ बसा हूँ

अज़्म बहज़ाद

सफ़र के ब'अद भी सफ़र का एहतिमाम कर रहा हूँ मैं

अज़लान शाह

शहर हो दश्त-ए-तमन्ना हो कि दरिया का सफ़र

अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी

तेरी यादें हैं जिन्हें दिल में बसा रक्खा है

अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी

तुम पे इल्ज़ाम न आ जाए सफ़र में कोई

अज़ीज़ वारसी

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