यात्रा Poetry (page 46)

न दामनों में यहाँ ख़ाक-ए-रहगुज़र बाँधो

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मुझे मंज़ूर काग़ज़ पर नहीं पत्थर पे लिख देना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मुद्दतों के बाद फिर कुंज-ए-हिरा रौशन हुआ

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मैं ख़ुद हूँ नक़्द मगर सौ उधार सर पर है

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

लहू ही कितना है जो चश्म-ए-तर से निकलेगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

जुरअत-ए-इज़हार से रोकेगी क्या

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

हर इक क़यास हक़ीक़त से दूर-तर निकला

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

फ़ुज़ूल शय हूँ मिरा एहतिराम मत करना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

चंद साँसें हैं मिरा रख़्त-ए-सफ़र ही कितना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

बिसात-ए-दानिश-ओ-हर्फ़-ओ-हुनर कहाँ खोलें

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

और क्या मुझ से कोई साहिब-नज़र ले जाएगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

तमाशा फिर सर-ए-बाज़ार करना

फ़य्याज़ तहसीन

राह में उस की चलें और इम्तिहाँ कोई न हो

फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

एयर-होस्टेस

फ़े सीन एजाज़

आइने रूप चुरा लेंगे उधर मत देखो

फ़े सीन एजाज़

नज़्म

फ़ातिमा हसन

एक नज़्म माँ के लिए

फ़ातिमा हसन

ज़मीं से रिश्ता-ए-दीवार-ओ-दर भी रखना है

फ़ातिमा हसन

मिरी ज़मीं पे लगी आप के नगर में लगी

फ़ातिमा हसन

मैं टूट कर उसे चाहूँ ये इख़्तियार भी हो

फ़ातिमा हसन

मैं टूट कर उसे चाहूँ ये इख़्तियार भी हो

फ़ातिमा हसन

ये वो सफ़र है जहाँ ख़ूँ-बहा ज़रूरी है

फ़सीह अकमल

प्यार जादू है किसी दिल में उतर जाएगा

फ़सीह अकमल

पड़ा था लिखना मुझे ख़ुद ही मर्सिया मेरा

फ़रियाद आज़र

हम हैं बस इज़्न-ए-सफ़र होने तक

फ़रताश सय्यद

दयार-ए-फ़िक्र-ओ-हुनर को निखारने वाला

फ़र्रुख़ ज़ोहरा गिलानी

मसअला ये है कि उस के दिल में घर कैसे करें

फ़र्रुख़ जाफ़री

यूँ मुसल्लत तो धुआँ जिस्म के अंदर तक है

फ़र्रुख़ जाफ़री

वो ख़ाली हाथ सफ़र-ए-आब पर रवाना हुआ

फ़र्रुख़ जाफ़री

मसअला ये है कि उस के दिल में घर कैसे करें

फ़र्रुख़ जाफ़री

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