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Collection: सबसे Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 97 - Darsaal

सबसे Poetry (page 97)

न साथी है न मंज़िल का पता है

असद भोपाली

इश्क़ को जब हुस्न से नज़रें मिलाना आ गया

असद भोपाली

जिसे पढ़ते तो याद आता था तेरा फूल सा चेहरा

असअ'द बदायुनी

जो लोग रातों को जागते थे

असअ'द बदायुनी

बारिश की नज़्म

असअ'द बदायुनी

ये धूप छाँव के असरार क्या बताते हैं

असअ'द बदायुनी

यही नहीं कि मिरा घर बदलता जाता है

असअ'द बदायुनी

वक़्त इक दरिया है दरिया सब बहा ले जाएगा

असअ'द बदायुनी

शाख़ से फूल से क्या उस का पता पूछती है

असअ'द बदायुनी

जो अक्स-ए-यार तह-ए-आब देख सकते हैं

असअ'द बदायुनी

गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा

असअ'द बदायुनी

बड़े नादान थे हम रेत को आब-ए-रवाँ समझे

असअ'द बदायुनी

अजब दिन थे कि इन आँखों में कोई ख़्वाब रहता था

असअ'द बदायुनी

ख़ुदी की फ़ितरत-ए-ज़र्रीं के राज़-हा-ए-दरूँ

आरज़ू सहारनपुरी

कुछ कहते कहते इशारों में शर्मा के किसी का रह जाना

आरज़ू लखनवी

उस की तो एक दिल-लगी अपना बना के छोड़ दे

आरज़ू लखनवी

तुम्हें क्या काम नालों से तुम्हें क्या काम आहों से

आरज़ू लखनवी

पियूँ ही क्यूँ जो बुरा जानूँ और छुपा के पियूँ

आरज़ू लखनवी

ख़ाली बैठे क्यूँ दिन काटें आओ रे जी इक काम करें

आरज़ू लखनवी

करम उन का ख़ुद है बढ़ कर मिरी हद्द-ए-इल्तिजा से

आरज़ू लखनवी

जिन रातों में नींद उड़ जाती है क्या क़हर की रातें होती हैं

आरज़ू लखनवी

हर साँस है इक नग़्मा हर नग़्मा है मस्ताना

आरज़ू लखनवी

गोरे गोरे चाँद से मुँह पर काली काली आँखें हैं

आरज़ू लखनवी

गँवा के दिल सा गुहर दर्द-ए-सर ख़रीद लिया

आरज़ू लखनवी

अयाँ है बे-रुख़ी चितवन से और ग़ुस्सा निगाहों से

आरज़ू लखनवी

यक़ीन-ए-सुब्ह-ए-चमन है कितना शुऊर-ए-अब्र-ए-बहार क्या है

अर्शी भोपाली

सब रंग वही ढंग वही नाज़ वही थे

अरशदुल क़ादरी

सच की ख़ातिर सब कुछ खोया कौन लिखेगा

अरशद कमाल

दर्द की साकित नदी फिर से रवाँ होने को है

अरशद कमाल

ऐ दिल तिरे तुफ़ैल जो मुझ पर सितम हुए

अरशद कमाल

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