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Collection: सबसे Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 89 - Darsaal

सबसे Poetry (page 89)

किरदार ही से ज़ीनत-ए-अफ़्लाक हो गए

बनो ताहिरा सईद

हादसा होता रहा है मुझ में

बलवान सिंह आज़र

सर्द, तारीक रात

बलराज कोमल

ड्रग स्टोर

बलराज कोमल

दीवारें

बलराज कोमल

दीदा-ए-तर

बलराज कोमल

ऐम्बुलेंस

बलराज कोमल

खोया खोया उदास सा होगा

बलराज कोमल

तिरा लहज़ा वही तलवार जैसा था

बकुल देव

चाल अपनी अदा से चलते हैं

बकुल देव

रखा सर पर जो आया यार का ख़त

बहराम जी

दुनिया में इबादत को तिरी आए हुए हैं

बहराम जी

ये चमन यूँही रहेगा और हज़ारों बुलबुलें

ज़फ़र

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें

ज़फ़र

दौलत-ए-दुनिया नहीं जाने की हरगिज़ तेरे साथ

ज़फ़र

वो सौ सौ अठखटों से घर से बाहर दो क़दम निकले

ज़फ़र

मर गए ऐ वाह उन की नाज़-बरदारी में हम

ज़फ़र

मैं हूँ आसी कि पुर-ख़ता कुछ हूँ

ज़फ़र

क्यूँकि हम दुनिया में आए कुछ सबब खुलता नहीं

ज़फ़र

करेंगे क़स्द हम जिस दम तुम्हारे घर में आवेंगे

ज़फ़र

होते होते चश्म से आज अश्क-बारी रह गई

ज़फ़र

गालियाँ तनख़्वाह ठहरी है अगर बट जाएगी

ज़फ़र

गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है

ज़फ़र

गौरय्यों ने जश्न मनाया मेरे आँगन बारिश का

बद्र-ए-आलम ख़लिश

दमक उठी है फ़ज़ा माहताब-ए-ख़्वाब के साथ

बद्र-ए-आलम ख़लिश

चुप थे जो बुत सवाल ब-लब बोलने लगे

बद्र-ए-आलम ख़लिश

आज-कल तो सब के सब टीवी के दीवाने हुए

बद्र वास्ती

ख़बर शाकी है

बद्र वास्ती

वो जब देगा जो कुछ देगा देगा अपने वालों को

बद्र वास्ती

इक़रार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन

बद्र वास्ती

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