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Collection: सबसे Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 84 - Darsaal

सबसे Poetry (page 84)

दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें

दाग़ देहलवी

देख कर जौबन तिरा किस किस को हैरानी हुई

दाग़ देहलवी

बाक़ी जहाँ में क़ैस न फ़रहाद रह गया

दाग़ देहलवी

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

दाग़ देहलवी

अब वो ये कह रहे हैं मिरी मान जाइए

दाग़ देहलवी

आरज़ू है वफ़ा करे कोई

दाग़ देहलवी

बाब-ए-रहमत पे दुआ गिर्या-कुनाँ हो जैसे

दाएम ग़व्वासी

खुलती है चाँदनी जहाँ वो कोई बाम और है

डी. राज कँवल

लोग सारे भले नहीं होते

चित्रांश खरे

काएनात-ए-आरज़ू में हम बसर करने लगे

चित्रांश खरे

मचलेंगे उन के आने पे जज़्बात सैंकड़ों

चरख़ चिन्योटी

हुस्न के जल्वे लुटाए तिरी रा'नाई ने

चरख़ चिन्योटी

बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे

चरख़ चिन्योटी

बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे

चरख़ चिन्योटी

समंदर का सुकूत

चन्द्रभान ख़याल

लौट चलिए

चन्द्रभान ख़याल

कैसा वो मौसम था ये तो समझ न पाए हम

चंद्र प्रकाश शाद

पहले तो उस की ज़ात ग़ज़ल में समेट लूँ

चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी

रामायण का एक सीन

चकबस्त ब्रिज नारायण

न कोई दोस्त दुश्मन हो शरीक-ए-दर्द-ओ-ग़म मेरा

चकबस्त ब्रिज नारायण

अब के बरस भी महका महका ख़्वाब दरीचा लगता है

बुशरा ज़ैदी

ये शहर-ए-ना-रसाई है

बुशरा एजाज़

जिस ने जाना जहाँ तमाशा है

बबल्स होरा सबा

जिस ने जाना जहाँ तमाशा है

बबल्स होरा सबा

जब ख़िज़ाँ आई चमन में सब दग़ा देने लगे

बूम मेरठी

इस क़दर बढ़ गई वहशत तिरे दीवाने की

बूम मेरठी

तुम सुन के क्या करोगे कहानी ग़रीब की

बिस्मिल अज़ीमाबादी

इक ग़लत सज्दे से क्या होता है वाइज़ कुछ न पूछ

बिस्मिल अज़ीमाबादी

तंग आ गए हैं क्या करें इस ज़िंदगी से हम

बिस्मिल अज़ीमाबादी

जब कभी नाम-ए-मोहम्मद लब पे मेरे आए है

बिस्मिल अज़ीमाबादी

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