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Collection: सबसे Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 77 - Darsaal

सबसे Poetry (page 77)

मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं

फ़रहत एहसास

मैं महफ़िल-बाज़ घबरा कर हुआ तन्हाई वाला

फ़रहत एहसास

लोग यूँ जाते नज़र आते हैं मक़्तल की तरफ़

फ़रहत एहसास

किस सलीक़े से वो मुझ में रात-भर रह कर गया

फ़रहत एहसास

जिस्म की क़ैद से सब रंग तुम्हारे निकल आए

फ़रहत एहसास

इश्क़ भी करना है हम को और ज़िंदा भी रहना है

फ़रहत एहसास

ईमाँ का लुत्फ़ पहलू-ए-तश्कीक में मिला

फ़रहत एहसास

हम को बरा-ए-दुनिया बे-जान कर दिया है

फ़रहत एहसास

हम अपने आप को अपने से कम भी करते रहते हैं

फ़रहत एहसास

हम अपना इस्म ले कर शहर-ए-सिफ़त से निकले

फ़रहत एहसास

घर बनाने में तमाम अहल-ए-सफ़र लग गए हैं

फ़रहत एहसास

दिनी हैं सब कोई राती नहीं है

फ़रहत एहसास

दिन ने इतना जो मरीज़ाना बना रक्खा है

फ़रहत एहसास

चाकरी में रह के इस दुनिया की मोहमल हो गए थे

फ़रहत एहसास

बा-मा'नियों से बच के मोहमल की राह पकड़ी

फ़रहत एहसास

बहुत सी आँखें लगीं हैं और एक ख़्वाब तय्यार हो रहा है

फ़रहत एहसास

बादल इस बार जो उस शहर पे छाए हुए हैं

फ़रहत एहसास

आख़िर उस के हुस्न की मुश्किल को हल मैं ने किया

फ़रहत एहसास

हौसला सब ने बढ़ाया है मिरे मुंसिफ़ का

फ़रहान सालिम

ये क्या हुआ कि सभी अब तो दाग़ जलने लगे

फ़रहान सालिम

तू मिरी इब्तिदा तू मिरी इंतिहा मैं समुंदर हूँ तू साहिलों की हवा

फ़रहान सालिम

मैं तिरे संग कैसे चलूँ हम-सफ़र तू समुंदर है मैं साहिलों की हवा

फ़रहान सालिम

आम है इज़्न कि जो चाहो हवा पर लिख दो

फ़रहान सालिम

तमन्ना अपनी उन पर आश्कारा कर रहा हूँ मैं

फ़रीद परबती

सिकंदर हूँ तलाश-ए-आब-ए-हैवाँ रोज़ करता हूँ

फ़रीद परबती

न ग़ुरूर है ख़िरद को न जुनूँ में बाँकपन है

फ़रीद जावेद

न ग़ुरूर है ख़िरद को न जुनूँ में बाँकपन है

फ़रीद जावेद

मय-कदे के सिवा मिली है कहाँ

फ़रीद जावेद

बे-बाक अँधेरे

फ़रीद इशरती

बिछड़ते दामनों में अपनी कुछ परछाइयाँ रख दो

फ़राज़ सुल्तानपूरी

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