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Collection: सबसे Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 75 - Darsaal

सबसे Poetry (page 75)

ग़ज़लों में अब वो रंग न रानाई रह गई

फ़ारूक़ शमीम

होने वाला था इक हादसा रह गया

फ़ारूक़ शफ़क़

याद रखते किस तरह क़िस्से कहानी लोग थे

फ़ारूक़ शफ़क़

वो अलग चुप है ख़ुद से शर्मा कर

फ़ारूक़ शफ़क़

होने वाला था इक हादसा रह गया

फ़ारूक़ शफ़क़

दिन को थे हम इक तसव्वुर रात को इक ख़्वाब थे

फ़ारूक़ शफ़क़

बहुत धोका किया ख़ुद को मगर क्या कर लिया मैं ने

फ़ारूक़ शफ़क़

आँधियों का ख़्वाब अधूरा रह गया

फ़ारूक़ शफ़क़

मौसम

फ़ारूक़ मुज़्तर

उजले माथे पे नाम लिख रक्खें

फ़ारूक़ मुज़्तर

शफ़क़-ए-शब से उभरता हुआ सूरज सोचें

फ़ारूक़ मुज़्तर

नक़्श आख़िर आप अपना हादिसा हो जाएगा

फ़ारूक़ मुज़्तर

न पानियों का इज़्तिरार शहर में

फ़ारूक़ मुज़्तर

अपनी आँखों के हिसारों से निकल कर देखना

फ़ारूक़ मुज़्तर

शिकायत

फ़ारूक़ बख़्शी

शहर-ए-दोस्त

फ़ारूक़ बख़्शी

जब हम पहली बार मिले थे

फ़ारूक़ बख़्शी

ये सौदा इश्क़ का आसान सा हे

फ़ारूक़ बख़्शी

तमाम शहर में उस जैसा ख़स्ता-हाल न था

फ़ारूक़ बख़्शी

ख़ुदा करे कि ये मिट्टी बिखर भी जाए अब

फ़ारूक़ बख़्शी

जैसी ख़्वाहिश होती हे कब होता हे

फ़ारूक़ बख़्शी

इस ज़मीं आसमाँ के थे ही नहीं

फ़ारूक़ बख़्शी

यारों को क्या ढूँड रहे हो वक़्त की आँख-मिचोली में

फ़ारूक़ अंजुम

परिंदे खेत में अब तक पड़ाव डाले हैं

फ़ारूक़ अंजुम

जो बैठो सोचने हर ज़ख़्म-ए-दिल कसकता है

फ़ारूक़ अंजुम

जब भी मिला वो टूट के हम से मिला तो है

फ़ारूक़ अंजुम

दिल नहीं मिलने का फिर मेरा सितमगर टूट कर

फ़रोग़ हैदराबादी

जन्म जन्म की कहानी

फ़रखंदा नसरीन हयात

रंग-दर-रंग हिजाबात उठाने होंगे

फ़ारिग़ बुख़ारी

मैं शो'ला-ए-इज़हार हूँ कोताह हूँ क़द तक

फ़ारिग़ बुख़ारी

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