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Collection: सबसे Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 73 - Darsaal

सबसे Poetry (page 73)

किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी

फ़िराक़ गोरखपुरी

जिन की ज़िंदगी दामन तक है बेचारे फ़रज़ाने हैं

फ़िराक़ गोरखपुरी

हर नाला तिरे दर्द से अब और ही कुछ है

फ़िराक़ गोरखपुरी

इक रोज़ हुए थे कुछ इशारात ख़फ़ी से

फ़िराक़ गोरखपुरी

किस काम का ऐसा दिल जिस में रंजिश है ग़ुबार है कीना है

फ़िगार उन्नावी

हसरत-ए-दिल ना-मुकम्मल है किताब-ए-ज़िंदगी

फ़िगार उन्नावी

तिरी जुस्तुजू में देखा मैं कहाँ कहाँ से गुज़रा

फ़िगार मुरादाबादी

सफ़र

फ़ज़्ल ताबिश

मौत माँ की तरह साथ है

फ़ज़्ल ताबिश

जब जंगल बस्ती में आया

फ़ज़्ल ताबिश

आ के हो जा बे-लिबास

फ़ज़्ल ताबिश

कली कली का बदन फोड़ कर जो निकला है

फ़ज़्ल ताबिश

जिन ख़्वाबों से नींद उड़ जाए ऐसे ख़्वाब सजाए कौन

फ़ज़्ल ताबिश

इस कमरे में ख़्वाब रक्खे थे कौन यहाँ पर आया था

फ़ज़्ल ताबिश

अहल-ए-हुनर के दिल में धड़कते हैं सब के दिल

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

तामीर-ए-नौ क़ज़ा-ओ-क़दर की नज़र में है

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

सरहदें

फ़ाज़िल जमीली

गुज़रती है जो दिल पर वो कहानी याद रखता हूँ

फ़ाज़िल जमीली

वो बर्क़ का हो कि मौजों के पेच-ओ-ताब का रंग

फ़ाज़िल अंसारी

तोहफ़ा-ए-ग़म भी मिला दर्द की सौग़ात के बा'द

फ़ाज़िल अंसारी

ये क्या बताएँ कि किस रहगुज़र की गर्द हुए

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

राएगाँ सब कुछ हुआ कैसी बसीरत क्या हुनर

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मुझे मंज़ूर काग़ज़ पर नहीं पत्थर पे लिख देना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मुद्दतों के बाद फिर कुंज-ए-हिरा रौशन हुआ

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मैं ख़ुद हूँ नक़्द मगर सौ उधार सर पर है

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

हाथ फैलाओ तो सूरज भी सियाही देगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

ग़ज़ल के पर्दे में बे-पर्दा ख़्वाहिशें लिखना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

चेहरा सालिम न नज़र ही क़ाएम

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

बिसात-ए-दानिश-ओ-हर्फ़-ओ-हुनर कहाँ खोलें

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

अच्छा हुआ मैं वक़्त के मेहवर से कट गया

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

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