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Collection: सबसे Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 61 - Darsaal

सबसे Poetry (page 61)

लबों पर प्यास हो तो आस के बादल भरे रखियो

इब्राहीम अश्क

बिल-आख़िर थक हार के यारो हम ने भी तस्लीम किया

इब्न-ए-सफ़ी

राह-ए-तलब में कौन किसी का अपने भी बेगाने हैं

इब्न-ए-सफ़ी

क्या क्या हैं गिले उस को बता क्यूँ नहीं देता

इब्न-ए-रज़ा

नफ़रतें न अदावतें बाक़ी हैं

इब्न-ए-मुफ़्ती

हम से मिलते थे सितारे आप के

इब्न-ए-मुफ़्ती

हुस्न सब को ख़ुदा नहीं देता

इब्न-ए-इंशा

ये बच्चा किस का बच्चा है

इब्न-ए-इंशा

सब माया है

इब्न-ए-इंशा

लब पर नाम किसी का भी हो

इब्न-ए-इंशा

कल हम ने सपना देखा है

इब्न-ए-इंशा

इस बस्ती के इक कूचे में

इब्न-ए-इंशा

फ़र्ज़ करो

इब्न-ए-इंशा

दिल-आशोब

इब्न-ए-इंशा

दिल पीत की आग में जलता है

इब्न-ए-इंशा

दिल इक कुटिया दश्त किनारे

इब्न-ए-इंशा

सुनते हैं फिर छुप छुप उन के घर में आते जाते हो

इब्न-ए-इंशा

शाम-ए-ग़म की सहर नहीं होती

इब्न-ए-इंशा

रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को रात के ख़्वाब सुहाने थे

इब्न-ए-इंशा

किस को पार उतारा तुम ने किस को पार उतारोगे

इब्न-ए-इंशा

कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा

इब्न-ए-इंशा

दिल सी चीज़ के गाहक होंगे दो या एक हज़ार के बीच

इब्न-ए-इंशा

देख हमारी दीद के कारन कैसा क़ाबिल-ए-दीद हुआ

इब्न-ए-इंशा

अर्श के तारे तोड़ के लाएँ काविश लोग हज़ार करें

इब्न-ए-इंशा

लोगों ने आकाश से ऊँचा जा कर तमग़े पाए

हुसैन माजिद

धूल-भरी आँधी में सब को चेहरा रौशन रखना है

हुसैन माजिद

उलझनें इतनी थीं मंज़र और पस-मंज़र के बीच

हुसैन ताज रिज़वी

सब मुतमइन थे सुब्ह का अख़बार देख कर

हुसैन ताज रिज़वी

मैं उस की आँख में वो मेरे दिल की सैर में था

हुसैन ताज रिज़वी

जब झूट रावियों के क़लम बोलने लगे

हुसैन ताज रिज़वी

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