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Collection: सबसे Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 125 - Darsaal

सबसे Poetry (page 125)

मंज़िल पे ध्यान हम ने ज़रा भी अगर दिया

आलोक श्रीवास्तव

हमेशा ज़िंदगी की हर कमी को जीते रहते हैं

आलोक श्रीवास्तव

धड़कते साँस लेते रुकते चलते मैं ने देखा है

आलोक श्रीवास्तव

हुस्न काफ़िर था अदा क़ातिल थी बातें सेहर थीं

आल-ए-अहमद सूरूर

सियाह रात की सब आज़माइशें मंज़ूर

आल-ए-अहमद सूरूर

ख़याल जिन का हमें रोज़-ओ-शब सताता है

आल-ए-अहमद सूरूर

हम न इस टोली में थे यारो न उस टोली में थे

आल-ए-अहमद सूरूर

हर इक जन्नत के रस्ते हो के दोज़ख़ से निकलते हैं

आल-ए-अहमद सूरूर

हमें तो मय-कदे का ये निज़ाम अच्छा नहीं लगता

आल-ए-अहमद सूरूर

आज से पहले तिरे मस्तों की ये ख़्वारी न थी

आल-ए-अहमद सूरूर

ख़ुद मज़ेदार तबीअ'त है तो सामाँ कैसा

आग़ा अकबराबादी

दिल में तिरे ऐ निगार क्या है

आग़ा अकबराबादी

दौर साग़र का चले साक़ी दोबारा एक और

आग़ा अकबराबादी

दीवाली

आफ़ताब राईस पानीपती

बाबा गाँधी

आफ़ताब राईस पानीपती

मैं

आदिल रज़ा मंसूरी

रास्ते सिखाते हैं किस से क्या अलग रखना

आदिल रज़ा मंसूरी

एक इक लम्हे को पलकों पे सजाता हुआ घर

आदिल रज़ा मंसूरी

दिन के सीने पे शाम का पत्थर

आदिल रज़ा मंसूरी

आँधियाँ ग़म की चलीं और कर्ब-बादल छा गए

अाबिदा उरूज

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