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Collection: साथ Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 25 - Darsaal

साथ Poetry (page 25)

हम दो क़दम भी चल न सके ख़ाक-ए-पा हुए

शहज़ाद अहमद

हौसला है तो सफ़ीनों के अलम लहराओ

शहज़ाद अहमद

हर दम तिरी शबीह थी आँखों के सामने

शहज़ाद अहमद

ये सोच कर कि तेरी जबीं पर न बल पड़े

शहज़ाद अहमद

ये भी सच है कि नहीं है कोई रिश्ता तुझ से

शहज़ाद अहमद

सुकून कुछ तो मिला दिल का माजरा लिख कर

शहज़ाद अहमद

लबों पे आ के रह गईं शिकायतें कभी कभी

शहज़ाद अहमद

जो दिल में खटकती है कभी कह भी सकोगे

शहज़ाद अहमद

इश्क़ वहशी है जहाँ देखेगा

शहज़ाद अहमद

इस दौर-ए-बे-दिली में कोई बात कैसे हो

शहज़ाद अहमद

बिखरे हुए तारों से मिरी रात भरी है

शहज़ाद अहमद

उम्र का बाक़ी सफ़र करना है इस शर्त के साथ

शहरयार

ज़िंदा रहने का ये एहसास

शहरयार

वो मोड़

शहरयार

वापसी

शहरयार

तन्हाई

शहरयार

सैगंधी

शहरयार

मुझ को मिलना है 'वहीद-अख़्तर' से

शहरयार

शम-ए-दिल शम-ए-तमन्ना न जला मान भी जा

शहरयार

जुदा हुए वो लोग कि जिन को साथ में आना था

शहरयार

हज़ार बार मिटी और पाएमाल हुई है

शहरयार

हर ख़्वाब के मकाँ को मिस्मार कर दिया है

शहरयार

हँस रहा था मैं बहुत गो वक़्त वो रोने का था

शहरयार

देख दरिया को कि तुग़्यानी में है

शहरयार

अक्स को क़ैद कि परछाईं को ज़ंजीर करें

शहरयार

आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई

शहरयार

वो एक लम्हा-ए-रफ़्ता भी क्या बुला लाया

शहराम सर्मदी

मिरे सुख़न पे इक एहसान अब के साल तो कर

शहराम सर्मदी

जो इस बरस नहीं अगले बरस में दे दे तू

शहराम सर्मदी

इस सोच में ही मरहला-ए-शब गुज़र गया

शहराम सर्मदी

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