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Collection: समुद्र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 16 - Darsaal

समुद्र Poetry (page 16)

हम ने आँख से देखा कितने सूरज निकले डूब गए

एजाज़ उबैद

नज़्मों के लिए दुआ-ए-ख़ैर

एजाज़ अहमद एजाज़

मैं जिस रफ़्तार से तूफ़ाँ की जानिब बढ़ता जाता हूँ

एहसान दानिश

हम चटानें हैं कोई रेत के साहिल तो नहीं

एहसान दानिश

न सियो होंट न ख़्वाबों में सदा दो हम को

एहसान दानिश

मुमकिन है कि मिलते कोई दम दोनों किनारे

दिलावर अली आज़र

मैं ग़र्क़ हो रहा था कि तूफ़ान-ए-इश्क़ ने

दिल शाहजहाँपुरी

फिर ए'तिबार-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा

दिल शाहजहाँपुरी

ऐ इश्क़ तू ने वाक़िफ़-ए-मंज़िल बना दिया

दिल शाहजहाँपुरी

बाग़-ए-जहाँ के गुल हैं या ख़ार हैं तो हम हैं

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

बुतान-ए-माहवश उजड़ी हुई मंज़िल में रहते हैं

दाग़ देहलवी

पास होने का इशारा मिल गया

बबल्स होरा सबा

वही होती है रहबर जो तमन्ना दिल में होती है

बिस्मिल सईदी

ये कैसी आग अभी ऐ शम्अ तेरे दिल में बाक़ी है

बिस्मिल इलाहाबादी

आरज़ूएँ नज़्र-ए-दौराँ नज़्र-ए-जानाँ हो गईं

बिर्ज लाल रअना

तड़ख़न

बिलाल अहमद

फिर वो बे-सम्त उड़ानों की कहानी सुन कर

भारत भूषण पन्त

किसी भी सम्त निकलूँ मेरा पीछा रोज़ होता है

भारत भूषण पन्त

ख़्वाब जीने नहीं देंगे तुझे ख़्वाबों से निकल

भारत भूषण पन्त

कब तक गर्दिश में रहना है कुछ तो बता अय्याम मुझे

भारत भूषण पन्त

वो थे जवाब के साहिल पे मुंतज़िर लेकिन

बेकल उत्साही

अज़्म-ए-मोहकम हो तो होती हैं बलाएँ पसपा

बेकल उत्साही

हम चटानों की तरह साहिल पे ढाले जाएँगे

बेकल उत्साही

आता है जो तूफ़ाँ आने दे कश्ती का ख़ुदा ख़ुद हाफ़िज़ है

बहज़ाद लखनवी

यूँ तो जो चाहे यहाँ साहब-ए-महफ़िल हो जाए

बहज़ाद लखनवी

ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए

बहज़ाद लखनवी

क्या गिला इस का जो मेरा दिल गया

बेदम शाह वारसी

बताए देती है बे-पूछे राज़ सब दिल के

बेदम शाह वारसी

अपने दीदार की हसरत में तू मुझ को सरापा दिल कर दे

बेदम शाह वारसी

सब काएनात-ए-हुस्न का हासिल लिए हुए

बासित भोपाली

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