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Collection: रेग Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

रेग Poetry

सुनो ना जानाँ

असरा रिज़वी

मैं लौह-ए-अर्ज़ पर नाज़िल हुआ सहीफ़ा हूँ

अली अकबर अब्बास

नद्दी ये जैसे मौज में दरिया से जा मिले

जानाँ मलिक

इश्क़ को आँख में जलते देखा

नजमा शाहीन खोसा

क़ुर्बतों के ये सिलसिले भी हैं

ज़िया शबनमी

तसलसुल

ज़िया जालंधरी

पैग़ाम

ज़िया जालंधरी

चाक

ज़िया जालंधरी

अपने अहवाल पे हम आप थे हैराँ बाबा

ज़िया जालंधरी

आँगन

ज़ेहरा निगाह

जाँ देना बस एक ज़ियाँ का सौदा था

ज़ेहरा निगाह

कहाँ बशारत-ए-फ़स्ल-ए-बहार लाई थी

ज़िशान इलाही

है सदफ़ गौहर से ख़ाली रौशनी क्यूँकर मिले

ज़ेब ग़ौरी

ज़मीन-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा पे उड़ती हिकायतें भी नई नहीं हैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

ग़ज़ल के शानों पे ख़्वाब-ए-हस्ती ब-चश्म-ए-पुर-नम ठहर गए हैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

यूँ ही हम दर्द अपना खो रहे हैं

ज़हीर रहमती

मौसम बदला रुत गदराई अहल-ए-जुनूँ बेबाक हुए

ज़हीर काश्मीरी

इरादा हो अटल तो मोजज़ा ऐसा भी होता है

ज़फ़र गोरखपुरी

ये जो तेरी आँखों में मा'नी-ए-वफ़ा सा है

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

ये अहद क्या है कि सब पर गिराँ गुज़रता है

ज़फ़र अज्मी

अभी से अच्छा हुआ रात सो गई वर्ना

यासमीन हबीब

किसी कशिश के किसी सिलसिले का होना था

यासमीन हबीब

दर्द की लहर थी गुज़र भी गई

यशब तमन्ना

ज़ात के रोग में

वज़ीर आग़ा

वो परिंदा है कहाँ शब को चहकने वाला

वज़ीर आग़ा

बादल बरस के खुल गया रुत मेहरबाँ हुई

वज़ीर आग़ा

बुलबुल वो गुल है ख़्वाब में तू गा के मत जगा

वलीउल्लाह मुहिब

मैं नाम-लेवा हूँ तेरा तू मो'तबर कर दे

वकील अख़्तर

हवा बहने लगी मुझ में

विकास शर्मा राज़

हाथ पर हाथ रख के क्यूँ बैठूँ

विकास शर्मा राज़

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