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Collection: रंग Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 70 - Darsaal

रंग Poetry (page 70)

मुझे कहना है

बशर नवाज़

मुझे जीना नहीं आता

बशर नवाज़

दिल के हर दर्द ने अशआ'र में ढलना चाहा

बशर नवाज़

बाज़ार-ए-ज़िंदगी में जमे कैसे अपना रंग

बशर नवाज़

बाद-ए-फ़ना भी है मरज़-ए-इश्क़ का असर

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

ज़ेर-ए-ज़मीं हूँ तिश्ना-ए-दीदार-ए-यार का

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

हम कि शोला भी हैं और शबनम भी

बाक़ी सिद्दीक़ी

दुनिया ने हर बात में क्या क्या रंग भरे

बाक़ी सिद्दीक़ी

उन का या अपना तमाशा देखो

बाक़ी सिद्दीक़ी

तारे दर्द के झोंके बन कर आते हैं

बाक़ी सिद्दीक़ी

सुब्ह का भेद मिला क्या हम को

बाक़ी सिद्दीक़ी

रंग-ए-दिल रंग-ए-नज़र याद आया

बाक़ी सिद्दीक़ी

कहता है हर मकीं से मकाँ बोलते रहो

बाक़ी सिद्दीक़ी

जुनूँ की राख से मंज़िल में रंग क्या आए

बाक़ी सिद्दीक़ी

इस कार-ए-गह-ए-रंग में हम तंग नहीं क्या

बाक़ी सिद्दीक़ी

ऐसा वार पड़ा सर का

बाक़ी सिद्दीक़ी

मुझे तो इश्क़ में अब ऐश-ओ-ग़म बराबर है

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

मत तंग हो करे जो फ़लक तुझ को तंग-दस्त

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

कल मय-कदे की जानिब आहंग-ए-मोहतसिब है

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

हाँ मियाँ सच है तुम्हारी तो बला ही जाने

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

सुबुक-सरी में भी अंदेशा-ए-हवा रखना

बाक़र नक़वी

पग पग फूल खिले थे लेकिन तन-मन में थी आग

बाक़र नक़वी

कभी तो याद के गुल-दान में सजाऊँ उसे

बाक़र नक़वी

ख़ामुशी

बाक़र मेहदी

गोडो

बाक़र मेहदी

दीमक

बाक़र मेहदी

नहीं है अश्क से ये ख़ून-ए-नाब आँखों में

बाक़र आगाह वेलोरी

मुझे इक शेर कहना है

बक़ा बलूच

वा'दे झूटे क़स्में झूटी

बक़ा बलूच

तर्सील

बलराज कोमल

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