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Collection: रहस्य Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 17 - Darsaal

रहस्य Poetry (page 17)

सैर-ए-दुनिया से ग़रज़ थी महव-ए-दुनिया कर दिया

हरी चंद अख़्तर

सैद को रश्क-ए-चमन दाम ने रहने न दिया

हक़ीर जहानी

तुम ख़ुद ही मोहब्बत की हर इक बात भुला दो

हनीफ़ अख़गर

मलाल ज़र्द-क़बाई को धो रहा होगा

हमीदा शाहीन

पोशीदा अजब ज़ीस्त का इक राज़ है मुझ में

हामिद मुख़्तार हामिद

मुझे रहीन-ए-ग़म-ए-जाँ-नवाज़ रहने दे

हमीद नागपुरी

हर ज़र्रा चश्म-ए-शौक़-ए-सर-ए-रहगुज़र है आज

हमीद नागपुरी

सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा

हमीद जालंधरी

सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा

हमीद जालंधरी

ऐ दोस्त दर्द-ए-दिल का मुदावा किया न जाए

हमीद जालंधरी

जितने अच्छे लोग हैं वो मुझ से वाबस्ता रहे

हमीद अलमास

छटी है राह से गर्द-ए-मलाल मेरे लिए

हमदम कशमीरी

दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

छोड़ कर बार-ए-सदा वो बे-सदा हो जाएगा

हकीम मंज़ूर

लिबास-ए-यार को मैं पारा-पारा क्या करता

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

नाज़नीं जिन के कुछ नियाज़ नहीं

हफ़ीज़ जौनपुरी

चाक-ए-दामाँ न रहा चाक-ए-गरेबाँ न रहा

हफ़ीज़ जौनपुरी

अब तो नहीं आसरा किसी का

हफ़ीज़ जौनपुरी

कृष्ण कन्हैया

हफ़ीज़ जालंधरी

'इक़बाल' के मज़ार पर

हफ़ीज़ जालंधरी

वो सरख़ुशी दे कि ज़िंदगी को शबाब से बहर-याब कर दे

हफ़ीज़ जालंधरी

किसी के रू-ब-रू बैठा रहा मैं बे-ज़बाँ हो कर

हफ़ीज़ जालंधरी

राज़-ए-सर-बस्ता मोहब्बत के ज़बाँ तक पहुँचे

हफ़ीज़ होशियारपुरी

अब कोई आरज़ू नहीं शौक़-ए-पयाम के सिवा

हफ़ीज़ होशियारपुरी

ज़र्रे ही सही कोह से टकरा तो गए हम

हबीब जालिब

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

हबीब जालिब

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

हबीब जालिब

भला हो जिस काम में किसी का तो उस में वक़्फ़ा न कीजिएगा

हबीब मूसवी

रानाई-ए-बहार पे थे सब फ़रेफ़्ता

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

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