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Collection: रहस्य Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

रहस्य Poetry

हवाओं में दिलों का कारवाँ है

अल्का मिश्रा

बन गई नाज़ मोहब्बत तलब-ए-नाज़ के बा'द

अंजुम फ़ौक़ी बदायूनी

लज़्ज़त-ए-हिज्र ने तड़पाया बहुत रुस्वा किया

नसीम शेख़

इश्क़ को आँख में जलते देखा

नजमा शाहीन खोसा

मेरी दोस्त

हरबंस मुखिया

असातीरी नज़्म

जवाज़ जाफ़री

सूरज की पहली किरन

अमजद इस्लाम अमजद

मुझे तलाश करो

अहमद नदीम क़ासमी

किस के नग़्मे गूँजते हैं ज़िंदगी के साज़ में

शुऊर-ओ-फ़िक्र से आगे निकल भी सकता है

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

मुझे ज़मान-ओ-मकाँ की हुदूद में न रख

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

रास आने लगी थी तन्हाई

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

आता है नज़र अंजाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

फूल का खिलना बहुत दुश्वार है

ज़ुहैर कंजाही

मा-बा'द जदीद

ज़ुबैर रिज़वी

फिर दिल को रोज़ ओ शब की वही ईद चाहिए

ज़ुबैर रिज़वी

हम बिछड़ के तुम से बादल की तरह रोते रहे

ज़ुबैर रिज़वी

हम बिछड़ के तुम से बादल की तरह रोते रहे

ज़ुबैर रिज़वी

नज़र नज़र से मिलाओगे मारे जाओगे

ज़ुबैर क़ैसर

बैठे-बैठे इक दम से चौंकाती है

ज़ुबैर अली ताबिश

फ़ोन तो दूर वहाँ ख़त भी नहीं पहुँचेंगे

ज़िया मज़कूर

जिस भी लफ़्ज़ पे उँगलियाँ रख दे साज़ करे

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

दर्द की धूप ढले ग़म के ज़माने जाएँ

ज़िया ज़मीर

ताबा कै

ज़िया जालंधरी

कही अन-कही

ज़िया जालंधरी

अबुल-हौल

ज़िया जालंधरी

मुंजमिद होंटों पे है यख़ की तरह हर्फ़-ए-जुनूँ

ज़िया जालंधरी

रास्ते

ज़ेहरा निगाह

गुल-चाँदनी

ज़ेहरा निगाह

क्यूँ ऐ ग़म-ए-फ़िराक़ ये क्या बात हो गई

ज़ेहरा निगाह

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