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Collection: रात Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 93 - Darsaal

रात Poetry (page 93)

जहाँ 'रेहाना' रहती थी

अख़्तर शीरानी

एक शाएरा की शादी पर

अख़्तर शीरानी

एक हुस्न-फ़रोश से

अख़्तर शीरानी

बस्ती की लड़कियों के नाम

अख़्तर शीरानी

बरखा-रुत

अख़्तर शीरानी

आँसू

अख़्तर शीरानी

यारो कू-ए-यार की बातें करें

अख़्तर शीरानी

उस मह-जबीं से आज मुलाक़ात हो गई

अख़्तर शीरानी

मिरी आँखों से ज़ाहिर ख़ूँ-फ़िशानी अब भी होती है

अख़्तर शीरानी

ला पिला साक़ी शराब-ए-अर्ग़वानी फिर कहाँ

अख़्तर शीरानी

ख़यालिस्तान-ए-हस्ती में अगर ग़म है ख़ुशी भी है

अख़्तर शीरानी

ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए

अख़्तर शीरानी

यारान-ए-तेज़-गाम से रंजिश कहाँ है अब

अख़तर शाहजहाँपुरी

ज़िंदगी क्या हुए वो अपने ज़माने वाले

अख़्तर सईद ख़ान

तिरी जबीं पे मिरी सुब्ह का सितारा है

अख़्तर सईद ख़ान

लब-ए-सुकूत पे इक हर्फ़-ए-बे-नवा भी नहीं

अख़्तर सईद ख़ान

कैसे समझाऊँ नसीम-ए-सुब्ह तुझ को क्या हूँ मैं

अख़्तर सईद ख़ान

आज भी दश्त-ए-बला में नहर पर पहरा रहा

अख़्तर सईद ख़ान

तुम्हारे होने का शायद सुराग़ पाने लगे

अख़्तर रज़ा सलीमी

सन्नाटा

अख़्तर राही

घोर अँधेरा

अख़्तर राही

पर्दा-ए-ज़ंगारी

अख़्तर पयामी

लम्स-ए-आख़िरी

अख़्तर पयामी

वो ख़ुद तो मर ही गया था मुझे भी मार गया

अख़तर इमाम रिज़वी

जुर्म-ए-हस्ती की सज़ा क्यूँ नहीं देते मुझ को

अख़तर इमाम रिज़वी

हर बुत यहाँ टूटे हुए पत्थर की तरह है

अख़तर इमाम रिज़वी

चाँदनी के हाथ भी जब हो गए शल रात को

अख़तर इमाम रिज़वी

अश्क जब दीदा-ए-तर से निकला

अख़तर इमाम रिज़वी

सधाए हुए परिंदे

अख़्तर हुसैन जाफ़री

रेत सहरा नहीं

अख़्तर हुसैन जाफ़री

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