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Collection: रात Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 82 - Darsaal

रात Poetry (page 82)

कैसे रफ़ू हों चाक-ए-गरेबाँ मैं भी सोचूँ तू भी सोच

असरारुल हक़ असरार

ऐसी नई कुछ बात न होगी

असरारुल हक़ असरार

बिजली हुई फ़ेल

असरार जामई

पहचान ज़िंदगी की समझ कर मैं चुप रहा

असरार अकबराबादी

फ़न अस्ल में पिन्हाँ है दिल-ए-ज़ार के अंदर

असरार अकबराबादी

वस्ल की जो ख़्वाहिश है

असरा रिज़वी

आओ चलें उस खंडर में

असरा रिज़वी

वो शख़्स फिर कहानी का उन्वान बन गया

असरा रिज़वी

जब उस की तस्वीर बनाई जाती है

असलम राशिद

इक क़दम उठ गया रवानी में

असलम राशिद

हमारी जीत हुई है कि दोनों हारे हैं

असलम कोलसरी

सीने में सुलगते हुए लम्हात का जंगल

असलम कोलसरी

हमारी जीत हुई है कि दोनों हारे हैं

असलम कोलसरी

ग़म की सौग़ात है ख़मोशी है

असलम कोलसरी

रफ़ीक़ दोस्त मुहिब मुझ को शाक़ सब ही थे

असलम हनीफ़

सुबुक सा दर्द था उठता रहा जो ज़ख़्मों से

असलम हबीब

नर्म आवाज़ों के बीच

असलम इमादी

अब रात आ रही है

असलम इमादी

फेंका था किस ने संग-ए-हवस रात ख़्वाब में

असलम आज़ाद

दोस्तों के साथ दिन में बैठ कर हँसता रहा

असलम आज़ाद

धूप के बादल बरस कर जा चुके थे और मैं

असलम आज़ाद

रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूँ नहीं

असलम आज़ाद

जगमगाती ख़्वाहिशों का नूर फैला रात भर

असलम आज़ाद

आँखों से मैं ने चख लिया मौसम के ज़हर को

असलम आज़ाद

दर्स-ए-आदाब-ए-जुनूँ याद दिलाने वाले

असलम अंसारी

मुझ को ख़्वाबों के बाग़ में ला कर

आसिमा ताहिर

ख़ुश्बू जैसी रात ने मेरा

आसिमा ताहिर

चुभ रही है अँधेरी रात मुझे

आसिमा ताहिर

सदियों को बेहाल किया था

आसिमा ताहिर

किस के मातम में रो रही है रात

आसिमा ताहिर

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