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Collection: रात Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 79 - Darsaal

रात Poetry (page 79)

उस की हर बात समझ कर भी मैं अंजान रही

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

कहने वाला ख़ुद तो सर तकिए पे रख कर सो गया

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

जब किसी रात कभी बैठ के मय-ख़ाने में

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

ज़िंदगी के सारे मौसम आ के रुख़्सत हो गए

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

वो ये कह कह के जलाता था हमेशा मुझ को

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

वो इक नज़र से मुझे बे-असास कर देगा

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

मेरे अंदर एक दस्तक सी कहीं होती रही

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

अपनी बीती हुई रंगीन जवानी देगा

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

अंधेरा इतना है अब शहर के मुहाफ़िज़ को

अज़ीज अहमद ख़ाँ शफ़क़

यही नहीं कि नज़र को झुकाना पड़ता है

अज़ीज अहमद ख़ाँ शफ़क़

कोई ऐसी बात है जिस के डर से बाहर रहते हैं

अज़हर नक़वी

दिल कुछ देर मचलता है फिर यादों में यूँ खो जाता है

अज़हर नक़वी

अफ़्सुर्दगी-ए-दर्द-ए-फ़राक़त है सहर तक

अज़हर नक़वी

जी रहा हूँ मैं उदासी भरी तस्वीर के साथ

अज़हर नैयर

तू भी वफ़ा के रूप में अब ढल के देख ले

अज़हर जावेद

तुम्हारी याद के दीपक भी अब जलाना क्या

अज़हर इक़बाल

मुझ को भी जागने की अज़िय्यत से दे नजात

अज़हर इनायती

हर एक रात को महताब देखने के लिए

अज़हर इनायती

वो मुझ से मेरा तआ'रुफ़ कराने आया था

अज़हर इनायती

उदास उदास तबीअ'त जो थी बहलने लगी

अज़हर इनायती

तमाम शख़्सियत उस की हसीं नज़र आई

अज़हर इनायती

जब तक सफ़ेद आँधी के झोंके चले न थे

अज़हर इनायती

इस हादसे को देख के आँखों में दर्द है

अज़हर इनायती

इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए

अज़हर इनायती

हर एक रात को महताब देखने के लिए

अज़हर इनायती

जाते हुए नहीं रहा फिर भी हमारे ध्यान में

अज़हर फ़राग़

शाम परिंदे लौट आए तो हम तिरी खोज में चल निकले

अज़हर अली

सब बातें ला-हासिल ठहरीं सारे ज़िक्र फ़ुज़ूल गए

अज़हर अली

वो शब के साए में फ़स्ल-ए-नशात काटते हैं

अज़हर अदीब

ये रात आख़िरी लोरी सुनाने वाली है

अज़हर अब्बास

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