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Collection: रात Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 76 - Darsaal

रात Poetry (page 76)

दस्त-ए-नासेह जो मिरे जेब को इस बार लगा

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

शोर-ए-दरिया है कहानी मेरी

बाक़र नक़वी

खेत से बच कर गुज़रे बस्ती को वीरानी दे

बाक़र नक़वी

दवा बग़ैर कोई तिफ़्ल मर गया तो क्या हुआ

बाक़र नक़वी

ये रात

बाक़र मेहदी

उस ने कहा!

बाक़र मेहदी

टूटे शीशे की आख़िरी नज़्म

बाक़र मेहदी

क्या क्या नहीं किया मगर उन पर असर नहीं

बाक़र मेहदी

गूँजता शहरों में तन्हाई का सन्नाटा तो है

बाक़र मेहदी

एक उलझन रात दिन पलती रही दिल में कि हम

बक़ा बलूच

उम्र भर कुछ ख़्वाब दिल पर दस्तकें देते रहे

बक़ा बलूच

पूछना चाँद का पता 'आज़र'

बलवान सिंह आज़र

मिरे सफ़र में ही क्यूँ ये अज़ाब आते हैं

बलवान सिंह आज़र

गर मुझे मेरी ज़ात मिल जाए

बलवान सिंह आज़र

तहलील

बलराज कोमल

इत्तिफ़ाक़

बलराज कोमल

गिर्या-ए-सगाँ

बलराज कोमल

दिल का मोआ'मला वही महशर वही रहा

बलराज कोमल

हुसूल-ए-मंज़िल-ए-जाँ का हुनर नहीं आया

बख़्श लाइलपूरी

दूर हो दर्द-ए-दिल ये और दर्द-ए-जिगर किसी तरह

बहराम जी

याँ ख़ाक का बिस्तर है गले में कफ़नी है

ज़फ़र

शाने की हर ज़बाँ से सुने कोई लाफ़-ए-ज़ुल्फ़

ज़फ़र

सब रंग में उस गुल की मिरे शान है मौजूद

ज़फ़र

जब कि पहलू में हमारे बुत-ए-ख़ुद-काम न हो

ज़फ़र

गुम हुए जाते हैं धड़कन के निशाँ हम-नफ़सो

बद्र-ए-आलम ख़लिश

ज़हर पिए मदहोश अँधेरी रात

बदनाम नज़र

हयात ढूँढ रहा हूँ क़ज़ा की राहों में

बदनाम नज़र

महसूस हो रहा है जो ग़म मेरी ज़ात का

बदीउज़्ज़माँ ख़ावर

तमाम रात छतों पर बरस गया पानी

बीएस जैन जौहर

नग़्मे तड़प रहे हैं दिल-ए-बे-क़रार में

बीएस जैन जौहर

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