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Collection: रात Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 64 - Darsaal

रात Poetry (page 64)

तारे शुमार करते हैं रो रो के रात भर

फ़ारूक़ अंजुम

जन्म जन्म की कहानी

फ़रखंदा नसरीन हयात

मैं शाम से शायद डूबी थी

फरीहा नक़वी

वो अगर अब भी कोई अहद निभाना चाहे

फरीहा नक़वी

लाख दिल ने पुकारना चाहा

फरीहा नक़वी

जंगल उगा था हद्द-ए-नज़र तक सदाओं का

फ़ारिग़ बुख़ारी

चाँदनी ने रात का मौसम जवाँ जैसे किया

फ़ारिग़ बुख़ारी

चाँदनी ने रात का मौसम जवाँ जैसे किया

फ़ारिग़ बुख़ारी

अपने ही साए में था में शायद छुपा हुआ

फ़ारिग़ बुख़ारी

था पा-शिकस्ता आँख मगर देखती तो थी

फ़रहत क़ादरी

वो बहकी निगाहें क्या कहिए वो महकी जवानी क्या कहिए

फ़रहत कानपुरी

कोई भी हम-सफ़र नहीं होता

फ़रहत कानपुरी

एक रात वो गया था जहाँ बात रोक के

फ़रहत एहसास

रात हुई

फ़रहत एहसास

ना-रसाई

फ़रहत एहसास

मामूल

फ़रहत एहसास

हमवारी

फ़रहत एहसास

दुनिया को कहाँ तक जाना है

फ़रहत एहसास

बिछड़े घर का साया

फ़रहत एहसास

बैज़ा-ए-नूर

फ़रहत एहसास

वस्ल की रात में हम रात में बह जाते हैं

फ़रहत एहसास

उस को है इश्क़ बताना भी नहीं चाहता है

फ़रहत एहसास

तुझे ख़बर हो तो बोल ऐ मिरे सितारा-ए-शब

फ़रहत एहसास

रात बहुत शराब पी रात बहुत पढ़ी नमाज़

फ़रहत एहसास

मुसलसल अश्क-बारी हो रही है

फ़रहत एहसास

क्या बैठ जाएँ आन के नज़दीक आप के

फ़रहत एहसास

किस सलीक़े से वो मुझ में रात-भर रह कर गया

फ़रहत एहसास

किस सलीक़े से वो मुझ में रात-भर रह कर गया

फ़रहत एहसास

ख़त बहुत उस के पढ़े हैं कभी देखा नहीं है

फ़रहत एहसास

ख़ाक है मेरा बदन ख़ाक ही उस का होगा

फ़रहत एहसास

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