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Collection: रात Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 27 - Darsaal

रात Poetry (page 27)

कुछ न कुछ हो तो सही अंजुमन-आराई को

शहज़ाद अहमद

कितनी बे-नूर थी दिन भर नज़र-ए-परवाना

शहज़ाद अहमद

जिस ने तिरी आँखों में शरारत नहीं देखी

शहज़ाद अहमद

जाने किस सम्त से हवा आई

शहज़ाद अहमद

इस दौर-ए-बे-दिली में कोई बात कैसे हो

शहज़ाद अहमद

इस भरे शहर में आराम मैं कैसे पाऊँ

शहज़ाद अहमद

इबलीस भी रख लेते हैं जब नाम फ़रिश्ते

शहज़ाद अहमद

हम लोगों को अपने दिल के राज़ बताते रहते हैं

शहज़ाद अहमद

हिज्र की रात मिरी जाँ पे बनी हो जैसे

शहज़ाद अहमद

हाल उस का तिरे चेहरे पे लिखा लगता है

शहज़ाद अहमद

डूब जाएँगे सितारे और बिखर जाएगी रात

शहज़ाद अहमद

दिल ओ दिमाग़ में एहसास-ए-ग़म उभार दिया

शहज़ाद अहमद

दरिया कभी इक हाल में बहता न रहेगा

शहज़ाद अहमद

चमक चमक के सितारो मुझे फ़रेब न दो

शहज़ाद अहमद

बिखरे हुए तारों से मिरी रात भरी है

शहज़ाद अहमद

बे-ताबी-ए-ग़म-हा-ए-दरूँ कम नहीं होगी

शहज़ाद अहमद

अस्ल में हूँ मैं मुजरिम मैं ने क्यूँ शिकायत की

शहज़ाद अहमद

आती है दम-ब-दम ये सदा जागते रहो

शहज़ाद अहमद

तू कहाँ है तुझ से इक निस्बत थी मेरी ज़ात को

शहरयार

तेरे वादे को कभी झूट नहीं समझूँगा

शहरयार

सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का

शहरयार

पहले नहाई ओस में फिर आँसुओं में रात

शहरयार

जागता हूँ मैं एक अकेला दुनिया सोती है

शहरयार

अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो

शहरयार

अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरी

शहरयार

आँखों को सब की नींद भी दी ख़्वाब भी दिए

शहरयार

वामांदगी-ए-शौक़

शहरयार

तन्हाई

शहरयार

तम्बीह

शहरयार

सैगंधी

शहरयार

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