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Collection: रात Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 10 - Darsaal

रात Poetry (page 10)

तख़्त जिस बे-ख़ानमाँ का दस्त-ए-वीरानी हुआ

वली मोहम्मद वली

मत ग़ुस्से के शो'ले सूँ जलते कूँ जलाती जा

वली मोहम्मद वली

आज सरसब्ज़ कोह ओ सहरा है

वली मोहम्मद वली

सिगरटें चाय धुआँ रात गए तक बहसें

वाली आसी

यूँ तो हँसते हुए लड़कों को भी ग़म होता है

वाली आसी

तुझ से बिछड़ के यूँ तो बहुत जी उदास है

वाली आसी

सुनो ये ग़म की सियह रात जाने वाली है

वाली आसी

कुछ दिन तिरा ख़याल तिरी आरज़ू रही

वाली आसी

जिन की यादें हैं अभी दिल में निशानी की तरह

वाली आसी

जी का जंजाल है इश्क़ मियाँ क़िस्सा ये तमाम करो 'वाली'

वाली आसी

हम जो दिन-रात ये इत्र-ए-दिल-ओ-जाँ खींचते हैं

वाली आसी

बुझा भी जाए कोई आ के आँधियों की तरह

वकील अख़्तर

अपनी ना-कर्दा-गुनाही की सज़ा हो जैसे

वकील अख़्तर

ना-मुरादी ही लिखी थी सो वो पूरी हो गई

वजद चुगताई

चाहतों की जो दिल को आदत है

वजद चुगताई

ख़याल तक न किया अहल-ए-अंजुमन ने ज़रा

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

बहार आई है आराइश-ए-चमन के लिए

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

आह-ए-शब नाला-ए-सहर ले कर

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

न पूछिए कि शब-ए-हिज्र हम पे क्या गुज़री

वाहिद प्रेमी

मिज़्गाँ पे आज यास के मोती बिखर गए

वहीदा नसीम

पस-ए-दीवार-ए-ज़िंदाँ

वहीद क़ुरैशी

नींद बन कर मिरी आँखों से मिरे ख़ूँ में उतर

वहीद अख़्तर

परोमीथियस

वहीद अख़्तर

मावरा

वहीद अख़्तर

तू ग़ज़ल बन के उतर बात मुकम्मल हो जाए

वहीद अख़्तर

तन्हाई मुझे देखती है

वहीद अहमद

शाम के दिन रात

वहीद अहमद

कोई बस्ती कि मुझ में बस्ती है

वहीद अहमद

ख़ुद-रौ दलीलें

वहीद अहमद

उसूल के जज़ीरे

वहाब दानिश

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