कदम Poetry (page 23)

वक़्त-ए-आख़िर हमें दीदार दिखाया न गया

इमदाद अली बहर

तारे गिनते रात कटती ही नहीं आती है नींद

इमदाद अली बहर

साक़ी तिरे बग़ैर है महफ़िल से दिल उचाट

इमदाद अली बहर

नफ़्स-ए-सरकश को क़त्ल कर ऐ दिल

इमदाद अली बहर

महबूब-ए-ख़ुदा ने तुझे नायाब बनाया

इमदाद अली बहर

किया सलाम जो साक़ी से हम ने जाम लिया

इमदाद अली बहर

फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है

इमदाद अली बहर

बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का

इमदाद अली बहर

आतिश-ए-बाग़ ऐसी भड़की है कि जलती है हवा

इमदाद अली बहर

आतिश-ए-बाग़ ऐसे भड़की है कि जलती है हवा

इमदाद अली बहर

आबला ख़ार-ए-सर-ए-मिज़्गाँ ने फोड़ा साँप का

इमदाद अली बहर

करे जो हर क़दम पर एक नाला

इमाम बख़्श नासिख़

हिर-फिर के दाएरे ही में रखता हूँ मैं क़दम

इमाम बख़्श नासिख़

ज़ोर है गर्मी-ए-बाज़ार तिरे कूचे में

इमाम बख़्श नासिख़

सनम कूचा तिरा है और मैं हूँ

इमाम बख़्श नासिख़

फूल किताबें ले जा, तन्हा रहने दे

इलियास बाबर आवान

सब तरह के हालात को इम्कान में रक्खा

इफ्तिखार शफ़ी

तर्क-ए-तअल्लुक़ात नहीं चाहता था मैं

इफ़्तिख़ार राग़िब

वो ख़्वाब था बिखर गया ख़याल था मिला नहीं

इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

कोई मुज़्दा न बशारत न दुआ चाहती है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

फ़ज़ा में वहशत-ए-संग-ओ-सिनाँ के होते हुए

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शोर-ए-दरिया-ए-वफ़ा इशरत-ए-साहिल के क़रीब

इफ़्तिख़ार आज़मी

वीराना-ए-ख़याल

इफ़्तिख़ार आज़मी

शौक़

इफ़्तिख़ार आज़मी

शोर-ए-दरिया-ए-वफ़ा इशरत-ए-साहिल के क़रीब

इफ़्तिख़ार आज़मी

जिस्म-ओ-जाँ की बस्ती में सिलसिले नहीं मिलते

इफ़्फ़त ज़र्रीं

अजीब कर्ब-ए-मुसलसल दिल-ओ-नज़र में रहा

इफ़्फ़त ज़र्रीं

तिरी ज़मीं से उठेंगे तो आसमाँ होंगे

इब्राहीम अश्क

मोहब्बतों में जो मिट मिट के शाहकार हुआ

इब्राहीम अश्क

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