कदम Poetry (page 17)

तिरे तग़ाफ़ुल से है शिकायत न अपने मिटने का कोई ग़म है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

राहों के ऊँच-नीच ज़रा देख-भाल के

सज्जाद बाक़र रिज़वी

हज़ार शुक्र कभी तेरा आसरा न गया

सज्जाद बाक़र रिज़वी

खोल कर बात का भरम दोनों

सज्जाद बलूच

खोल कर बात का भरम दोनों

सज्जाद बलूच

कलियाँ नीला आसमान ज़ंजीर

साजिदा ज़ैदी

कब से महव-ए-सफ़र हो

साजिदा ज़ैदी

हर शय की अक़ीदत से तस्वीर नहीं बनती

साजिद सिद्दीक़ी लखनवी

शिकस्ता-दिल थे तिरा ए'तिबार क्या करते

साजिद अमजद

पंक्चुवेशन

साइमा असमा

तिरी नज़र से ज़माने बदलते रहते हैं

सैफ़ुद्दीन सैफ़

लुत्फ़ फ़रमा सको तो आ जाओ

सैफ़ुद्दीन सैफ़

हमें ख़बर है वो मेहमान एक रात का है

सैफ़ुद्दीन सैफ़

वफ़ा ख़ुलूस मोहब्बत इबादतें उस की

सैफ़ी सरौंजी

यादों की गूँज ज़ेहन से बाहर निकालिए

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

कर के मसहूर मुझे चश्म-ए-करम से पहले

सैफ़ बिजनोरी

तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा

साहिर लुधियानवी

नया सफ़र है पुराने चराग़ गुल कर दो

साहिर लुधियानवी

लहु नज़्र दे रही है हयात

साहिर लुधियानवी

इसी दो-राहे पर

साहिर लुधियानवी

एक मुलाक़ात

साहिर लुधियानवी

हर क़दम मरहला-दार-ओ-सलीब आज भी है

साहिर लुधियानवी

दुनिया में हर क़दम पे हमें तीरगी मिली

साहिर होशियारपुरी

क़दम है ऐन हुदूस और हुदूस ऐन क़दम

साहिर देहल्वी

नक़्श-ए-क़दम हैं राह में फ़रहाद-ओ-क़ैस के

साहिर देहल्वी

जो ला-मज़हब हो उस को मिल्लत-ओ-मशरब से क्या मतलब

साहिर देहल्वी

चार उंसुर से बना है जिस्म-ए-पाक

साहिर देहल्वी

सर-ए-राह

सहर अंसारी

किसी भी ज़ख़्म का दिल पर असर न था कोई

सहर अंसारी

हम अहल-ए-ज़र्फ़ कि ग़म-ख़ाना-ए-हुनर में रहे

सहर अंसारी

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