कदम Poetry (page 13)

जिस को चाहा था न पाया जो न चाहा था मिला

शाहिद इश्क़ी

जिस को चाहा था न पाया जो न चाहा था मिला

शाहिद इश्क़ी

जो तुम से मिला होगा जो तुम ने दिया होगा

शाहिद ग़ाज़ी

बेताबियों को मेरी बढ़ाने लगी हवा

शाहिद ग़ाज़ी

जुनून-ए-शौक़ की राहों में जब अपने क़दम निकले

शाहिद भोपाली

दम अजनबी सदाओं का भरते हो साहिबो

शाहिद अहमद शोएब

ये हम कौन हैं

शाहीन मुफ़्ती

दुनिया ने बस थका ही दिया काम कम हुए

शाहीन ग़ाज़ीपुरी

ख़ुद में उतरें तो पलट कर वापस आ सकते नहीं

शाहीन अब्बास

बनते बनते अपने पेच-ओ-ख़म बने

शाहीन अब्बास

रख क़दम होश्यार हो कर इश्क़ की मंज़िल में आह

शाह नसीर

आ के सलासिल ऐ जुनूँ क्यूँ न क़दम ले ब'अद-ए-क़ैस

शाह नसीर

उधर अब्र ले चश्म-ए-नम को चला

शाह नसीर

शमीम-ए-ज़ुल्फ़-ए-मुअम्बर जो रू-ए-यार से लूँ

शाह नसीर

सरज़मीन-ए-ज़ुल्फ़ में क्या दिल ठिकाने लग गया

शाह नसीर

रंग मैला न हुआ जामा-ए-उर्यानी का

शाह नसीर

मिल बैठने ये दे है फ़लक एक दम कहाँ

शाह नसीर

मेरी तुर्बत पर चढ़ाने ढूँडता है किस के फूल

शाह नसीर

मैं ज़ोफ़ से जूँ नक़्श-ए-क़दम उठ नहीं सकता

शाह नसीर

लगा जब अक्स-ए-अबरू देखने दिलदार पानी में

शाह नसीर

ख़ुदा के वास्ते चेहरे से टुक नक़ाब उठा

शाह नसीर

जूँ ज़र्रा नहीं एक जगह ख़ाक-नशीं हम

शाह नसीर

जो गुज़रे है बर आशिक़-ए-कामिल नहीं मालूम

शाह नसीर

गो सियह-बख़्त हूँ पर यार लुभा लेता है

शाह नसीर

इक क़ाफ़िला है बिन तिरे हम-राह सफ़र में

शाह नसीर

दिल जल्वा-गाह-ए-सूरत-ए-जानाना हो गया

शाह नसीर

दिखा दो गर माँग अपनी शब को तो हश्र बरपा हो कहकशाँ पर

शाह नसीर

देख तू यार-ए-बादा-कश! मैं ने भी काम क्या किया

शाह नसीर

बा'द-ए-मजनूँ क्यूँ न हूँ मैं कार-फ़रमा-ए-जुनूँ

शाह नसीर

जूँ क़दम यार ने घर से मिरे दर पर रक्खा

शाह कमालउद्दीन कमाल

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