कदम Poetry (page 10)

राज़ में रक्खेंगे हम तेरी क़सम ऐ नासेह

शौक़ बहराइची

ख़िलाफ़-ए-हंगामा-ए-तशद्दुद क़दम जो हम ने बढ़ा दिए हैं

शौक़ बहराइची

ग़म की अँधेरी राहों में तो तुम भी नहीं काम आओ हो

शौकत परदेसी

ये दस्त-ए-नाज़ में ख़त तर्जुमान किस का है

शातिर हकीमी

शिद्दत-ए-दर्द-ए-जिगर हो ये ज़रूरी तो नहीं

शातिर हकीमी

दर से मायूस तिरे तालिब-ए-इकराम चले

शातिर हकीमी

कुछ क़दम और मुझे जिस्म को ढोना है यहाँ

शारिक़ कैफ़ी

ग़ुनूदा राहों को तक तक के सोगवार न हो

शरीफ़ कुंजाही

तलाश जिन की है वो दिन ज़रूर आएँगे

शरीफ़ कुंजाही

ज़ुल्म करते हुए वो शख़्स लरज़ता ही नहीं

शारिब मौरान्वी

हमारे सर हर इक इल्ज़ाम धर भी सकता है

शारिब मौरान्वी

नग़्मगी से सुकूत बेहतर था

शरीफ़ मुनव्वर

शीशा-ए-साअत का ग़ुबार

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

बयान सफ़ाई

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

उन का ख़याल हर तरफ़ उन का जमाल हर तरफ़

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

इधर से देखें तो अपना मकान लगता है

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

वो अक्स मुझ में जुनूँ-साज़ रक़्स करने लगा

शमशीर हैदर

सय्याल तसव्वुर है उबलने की तरह का

शमीम क़ासमी

ज़ुल्मत-गह-ए-दौराँ में सुब्ह-ए-चमन-ए-दिल हूँ

शमीम करहानी

शराब ओ शेर के साँचे में ढल के आई है

शमीम करहानी

जो देखते हुए नक़्श-ए-क़दम गए होंगे

शमीम करहानी

हमीं थे ऐसे सर-फिरे हमीं थे ऐसे मनचले

शमीम करहानी

ग़म दो आलम का जो मिलता है तो ग़म होता है

शमीम करहानी

गली गली है अंधेरा तो मेरे साथ चलो

शमीम करहानी

अनमोल सही नायाब सही बे-दाम-ओ-दिरम बिक जाते हैं

शमीम करहानी

आ रही है शब-ए-ग़म मेरी तरफ़ मेरे लिए

शमीम करहानी

तिरे अहल-ए-दर्द के रोज़-ओ-शब इसी कश्मकश में गुज़र गए

शमीम जयपुरी

न पूछ कब से ये दम घुट रहा है सीने में

शमीम जयपुरी

गो तही-दामन हूँ लेकिन ग़म नहीं

शमीम जयपुरी

गले लगा के जो सुनते थे दिल की आहों को

शमीम जयपुरी

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