फूल Poetry (page 46)
ये किस को याद किया रूह की ज़रूरत ने
अरशद अब्दुल हमीद
उन्हें ये ज़ोम कि बे-सूद है सदा-ए-सुख़न
अरशद अब्दुल हमीद
मुझ को तक़दीर ने यूँ बे-सर-ओ-आसार किया
अरशद अब्दुल हमीद
ग़ज़ल में जान पड़ी गुफ़्तुगू में फूल खिले
अरशद अब्दुल हमीद
मेरे प्यारे वतन
अर्श मलसियानी
बदली हुई दुनिया की नज़र देख रहे हैं
अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ
जब भी दुश्मन बन के इस ने वार किया
आरिफ़ शफ़ीक़
बाग़बाँ की बे-रुख़ी से नीले-पीले हो गए
आरिफ़ अंसारी
तमन्नाएँ जवाँ थीं इश्क़ फ़रमाने से पहले
अक़ील नोमानी
डुबोए देता है ख़ुद-आगही का बार मुझे
अनवर सिद्दीक़ी
हमेशा हात में रहते हैं फूल उन के लिए
अनवर शऊर
ख़्वाबों को समझौते रास नहीं आते
अनवर सेन रॉय
जो फूल झड़ गए थे जो आँसू बिखर गए
अनवर सदीद
तुझ को तो क़ुव्वत-ए-इज़हार ज़माने से मिली
अनवर सदीद
दुश्मन तो मेरे तन से लहू चूसता रहा
अनवर सदीद
जब ज़मीं के मुक़द्दर सँवर जाएँगे
अनवर मीनाई
'अनवर' मिरी नज़र को ये किस की नज़र लगी
अनवर मसूद
तय हो गया है मसअला जब इंतिसाब का
अनवर मसूद
मुझे ख़ुद से भी खटका सा लगा था
अनवर मसूद
उदासी एक लड़की है
अनवार फ़ितरत
उदासी एक लड़की है
अनवार फ़ितरत
खिला है फूल बहुत रोज़ में मुक़द्दर का
अनवर अंजुम
दीदा-ए-तर ने अजब जल्वागरी देखी है
अनवर मोअज़्ज़म
उसे यादों में जब लाना मुसलसल कर दिया मैं ने
अनुभव गुप्ता
तन्हाई का सफ़रनामा
अंजुम सलीमी
आधी मौत का जन्म
अंजुम सलीमी
खोया खोया रहता है
अंजुम लुधियानवी
काँटों में जो फूल खिला है
अंजुम लुधियानवी
बीते हुए लम्हात को पहचान में रखना
अंजुम ख़लीक़
बीते हुए लम्हात को पहचान में रखना
अंजुम ख़लीक़
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