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Collection: पानी Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 12 - Darsaal

पानी Poetry (page 12)

कौन कहता है कि दरिया में रवानी कम है

शहज़ाद अहमद

जो दिल में खटकती है कभी कह भी सकोगे

शहज़ाद अहमद

इस दोशीज़ा मिट्टी पर नक़्श-ए-कफ़-ए-पा कोई भी नहीं

शहज़ाद अहमद

शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है

शहरयार

शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को

शहरयार

जिस्म की कश्ती में आ

शहरयार

एक सियासी नज़्म

शहरयार

अजीब काम

शहरयार

शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है

शहरयार

शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को

शहरयार

नशात-ए-ग़म भी मिला रंज-ए-शाद-मानी भी

शहरयार

मंज़र गुज़िश्ता शब के दामन में भर रहा है

शहरयार

देख दरिया को कि तुग़्यानी में है

शहरयार

बहते दरियाओं में पानी की कमी देखना है

शहरयार

नसीब-ए-चश्म में लिक्खा है गर पानी नहीं होना

शहराम सर्मदी

तारीख़ के मुर्दा-ख़ाने से

शहनाज़ नबी

पाप

शहनाज़ नबी

निज़ाम-ए-शम्सी

शहनाज़ नबी

मुन्तज़िम

शहनाज़ नबी

हुसैन! तोमी कोथाए

शहनाज़ नबी

मेज़ पे चेहरा ज़ुल्फ़ें काग़ज़ पर

शहनवाज़ ज़ैदी

दिल भी दाग़-ए-नक़्श-ए-कुहन से बुझा हुआ था

शहनवाज़ ज़ैदी

दरीचा आइने पर खुल रहा है

शहनवाज़ ज़ैदी

कोई तारा न दिखा शाम की वीरानी में

शाहिदा हसन

बात कोई एक पल उस के ध्यान के आने की थी

शाहिदा हसन

बस रूह सच है बाक़ी कहानी फ़रेब है

शाहिद ज़की

अब तिरी याद से वहशत नहीं होती मुझ को

शाहिद ज़की

वार हुआ कुछ इतना गहरा पानी का

शाहिद मीर

समुंदरों में अगर ख़लफ़िशार-ए-आब न हो

शाहिद मीर

वो क्यूँ आया

शाहिद मलिक

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