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Collection: उम्र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 29 - Darsaal

उम्र Poetry (page 29)

न छोड़ा दिल-ए-ख़स्ता-जाँ चलते चलते

रशीद लखनवी

जो हवा है सूरत-ए-बाद-ए-मुख़ालिफ़ तेज़ है

रशीद लखनवी

हिरास है ये अज़ल का कि ज़िंदगी क्या है

रशीद कौसर फ़ारूक़ी

किसे है लौह-ए-वक़्त पर दवाम सोचते रहे

रशीद कामिल

यूँ गँवाता है कोई जान-ए-अज़ीज़

रसा चुग़ताई

शाम से पहले घर गए होते

रसा चुग़ताई

रात हम ने जहाँ बसर की है

रसा चुग़ताई

इस उजड़े शहर के आसार तक नहीं पहुँचे

रऊफ़ अमीर

मेरे ख़त का जवाब आया था

राणा गन्नौरी

मोहब्बतों के लिए उम्र कम है सो वो शख़्स

राना आमिर लियाक़त

तुम पसीना मत कहो है जाँ-फ़िशानी का लिबास

रम्ज़ अज़ीमाबादी

इस सदी का जब कभी ख़त्म-ए-सफ़र देखेंगे लोग

रम्ज़ अज़ीमाबादी

तेरी महफ़िल में सितारे कोई जुगनू लाया

राम रियाज़

लफ़्ज़ बे-जाँ हैं मिरे रूह-ए-मआनी मुझे दे

राम रियाज़

काश मेरे डूबने का वो भी मंज़र देखता

राम नाथ असीर

वो रह-ओ-रस्म न वो रब्त-ए-निहाँ बाक़ी है

राम कृष्ण मुज़्तर

मसअला ये भी ब-फ़ैज़-ए-इश्क़ आसाँ हो गया

राम कृष्ण मुज़्तर

वो एक अक्स कि पल भर नज़र में ठहरा था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मिरे बनाए हुए बुत में रूह फूँक दे अब

राजेन्द्र मनचंदा बानी

ये ज़रा सा कुछ और एक-दम बे-हिसाब सा कुछ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

तमाम रास्ता फूलों भरा है मेरे लिए

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मस्त उड़ते परिंदों को आवाज़ मत दो कि डर जाएँगे

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दोस्तो क्या है तकल्लुफ़ मुझे सर देने में

राजेन्द्र मनचंदा बानी

छुपी है तुझ में कोई शय उसे न ग़ारत कर

राजेन्द्र मनचंदा बानी

बजाए हम-सफ़री इतना राब्ता है बहुत

राजेन्द्र मनचंदा बानी

आज तो रोने को जी हो जैसे

राजेन्द्र मनचंदा बानी

जुस्तुजू का इक अजब सिलसिला ता-उम्र रहा

राजेश रेड्डी

जो कहीं था ही नहीं उस को कहीं ढूँढना था

राजेश रेड्डी

इजाज़त कम थी जीने की मगर मोहलत ज़ियादा थी

राजेश रेड्डी

तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त

राजेन्द्र नाथ रहबर

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