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Collection: उम्मीद Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 1 - Darsaal

उम्मीद Poetry (page 1)

इक्कीसवीं सदी का इश्क़

मर्यम तस्लीम कियानी

इंतिज़ार

अभिषेक कुमार अम्बर

14-अगस्त

हबीब जालिब

जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था

रौशनी बन के सितारों में रवाँ रहते हैं

अर्श सिद्दीक़ी

देने वाले तुझे देना है तो इतना दे दे

संजय मिश्रा शौक़

बातें करो

ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी

बे-साया पेड़

काशिफ़ रफ़ीक़

मसीहा

फ़ाख़िरा बतूल

जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था

इस दिल से मिरे इश्क़ के अरमाँ को निकालो

बे-मुरव्वत हैं तो वापस ही उठा ले शब-ओ-रोज़

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

गुम-कर्दा-राह ख़ाक-बसर हूँ ज़रा ठहर

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

सफ़र पे जैसे कोई घर से हो के जाता है

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

जीने की है उमीद न मरने की आस है

ज़ुहैर कंजाही

तिरी तस्वीर उठाई हुई है

ज़ुबैर क़ैसर

अब दिल है उन के हल्क़ा-ए-दाम-ए-जमाल में

ज़ोहरा नसीम

गो उन्हें राह-ए-इंहिराफ़ नहीं

ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब

सफ़र मुझ पर अजब बरपा रही है

ज़िया ज़मीर

अब्र-ए-आवारा से मुझ को है वफ़ा की उम्मीद

ज़िया जालंधरी

वक़्त कातिब है

ज़िया जालंधरी

शहर-ए-आशोब

ज़िया जालंधरी

बड़ा शहर

ज़िया जालंधरी

रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए

ज़िया जालंधरी

अब ये आँखें किसी तस्कीन से ताबिंदा नहीं

ज़िया जालंधरी

मिरे जुनूँ में मिरी वफ़ा में ख़ुलूस की जब कमी मिलेगी

ज़िया फ़तेहाबादी

इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं

ज़ेहरा निगाह

जाँ देना बस एक ज़ियाँ का सौदा था

ज़ेहरा निगाह

इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं

ज़ेहरा निगाह

किस क़दर महदूद कर देता है ग़म इंसान को

ज़ीशान साहिल

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