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Collection: नज़र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 12 - Darsaal

नज़र Poetry (page 12)

'शाद' उफ़्ताद-ए-हर-नफ़स मत पूछ

शाद आरफ़ी

हमारी ग़ज़लों हमारे शेरों से तुम को ये आगही मिलेगी

शाद आरफ़ी

दावर ने बंदे बंदों ने दावर बना दिया

सेहर इश्क़ाबादी

लहू पुकार के चुप है ज़मीन बोलती है

सीन शीन आलम

वाक़िफ़ हैं ख़ू-ए-यार से देखे चलन तमाम

सीमाब ज़फ़र

मैं देखता हूँ आप को हद्द-ए-निगाह तक

सीमाब अकबराबादी

दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में

सीमाब अकबराबादी

जिंदान-ए-काएनात में महसूर कर दिया

सीमाब अकबराबादी

जल्वा-गाह-ए-दिल में मरते ही अँधेरा हो गया

सीमाब अकबराबादी

हम हैं सर-ता-बा-पा तमन्ना

सीमाब अकबराबादी

हस्ती को मिरी मस्ती-ए-पैमाना बना दे

सीमाब अकबराबादी

दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में

सीमाब अकबराबादी

आ कि हस्ती बे-लब-ओ-बे-जोश है तेरे बग़ैर

सीमाब अकबराबादी

सौदा-ए-इश्क़ के तो ख़ता-वार हम नहीं

सीमा गुप्ता

रस्म ही शहर-ए-तमन्ना से वफ़ा की उठ जाए

सय्यद एहतिशाम हुसैन

तुम समझ लेते गर परेशानी

सावन शुक्ला

ग़ुंचे से मुस्कुरा के उसे ज़ार कर चले

मोहम्मद रफ़ी सौदा

दिलदार उस को ख़्वाह दिल-आज़ार कुछ कहो

मोहम्मद रफ़ी सौदा

साक़ी की हर निगाह में सहबा थी जाम था

सत्यपाल जाँबाज़

सलीब लाद के काँधे पे चल रहा हूँ मैं

सत्य नन्द जावा

सवाब की दुआओं ने गुनाह कर दिया मुझे

सरवत ज़ेहरा

इक निगाह-ए-बेरुख़ी से ग़र्क़ होते ज़ाइक़े

सरवत मुख़तार

ऐ ख़्वाब-ए-दिल-नवाज़ न आ कर सता मुझे

सरवर नेपाली

कभी तेग़-ए-तेज़ सुपुर्द की कभी तोहफ़ा-ए-गुल-ए-तर दिया

सरवत हुसैन

दर-ए-मय-कदा है खुला हुआ सर-ए-चर्ख़ आज घटा भी है

सरदार सोज़

ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं मुझे

सरदार सोज़

जिस का राहिब शैख़ हो बुत-ख़ाना ऐसा चाहिए

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

हिज्र की शब नाला-ए-दिल वो सदा देने लगे

साक़िब लखनवी

ये ज़ुल्म है ख़याल से ओझल न कर उसे

साक़ी फ़ारुक़ी

मुझ को मिरी शिकस्त की दोहरी सज़ा मिली

साक़ी फ़ारुक़ी

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