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Collection: नज़र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 81 - Darsaal

नज़र Poetry (page 81)

जबीं पे गर्द है चेहरा ख़राश में डूबा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

चेहरा सालिम न नज़र ही क़ाएम

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

चंद साँसें हैं मिरा रख़्त-ए-सफ़र ही कितना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

बिसात-ए-दानिश-ओ-हर्फ़-ओ-हुनर कहाँ खोलें

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

और क्या मुझ से कोई साहिब-नज़र ले जाएगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

अब आ गए हो तो रफ़्तगाँ को भी याद रखना

फ़य्याज़ तहसीन

निकला जो चिलमनों से वो चेहरा आफ़्ताबी

फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

कहानी हो कोई भी तेरा क़िस्सा हो ही जाती है

फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

कोई आँख चुपके चुपके मुझे यूँ निहारती है

फ़े सीन एजाज़

आइने रूप चुरा लेंगे उधर मत देखो

फ़े सीन एजाज़

दिल ओ नज़र की बक़ा है फ़क़त मोहब्बत में

फ़व्वाद अहमद

उन निगाहों को हम-आवाज़ किया है मैं ने

फ़व्वाद अहमद

तुम्हारे लिए मुस्कुराती सहर है

फ़व्वाद अहमद

हमारे दिल की बजा दी है उस ने ईंट से ईंट

फ़व्वाद अहमद

किताबों से न दानिश की फ़रावानी से आया है

फ़सीह अकमल

सुब्ह होती है तो दफ़्तर में बदल जाता है

फ़रियाद आज़र

सबब थी फ़ितरत-ए-इंसाँ ख़राब मौसम का

फ़रियाद आज़र

ये दिल-कथा है अदाकार तेरे बस में नहीं

फ़रताश सय्यद

नख़्ल-ए-ममनूअा के रुख़ दोबारा गया मैं तो मारा गया

फ़रताश सय्यद

हम हैं बस इज़्न-ए-सफ़र होने तक

फ़रताश सय्यद

हर शख़्स को फ़रेब-ए-नज़र ने किया शिकार

फ़र्रुख़ ज़ोहरा गिलानी

होश ओ ख़िरद गँवा के तिरे इंतिज़ार में

फ़र्रुख़ ज़ोहरा गिलानी

दयार-ए-फ़िक्र-ओ-हुनर को निखारने वाला

फ़र्रुख़ ज़ोहरा गिलानी

तिरे अद्ल के ऐवानों में

फर्रुख यार

मसअला ये है कि उस के दिल में घर कैसे करें

फ़र्रुख़ जाफ़री

कोई मौसम हो कुछ भी हो सफ़र करना ही पड़ता है

फ़र्रुख़ जाफ़री

जाने क्या ऐसा उसे मुझ में नज़र आया था

फ़र्रुख़ जाफ़री

गो इस सफ़र में थक के बदन चूर हो गया

फ़र्रुख़ जाफ़री

अब के जुनूँ हुआ तो गरेबाँ को फाड़ कर

फ़र्रुख़ जाफ़री

हर एक लफ़्ज़ में पोशीदा इक अलाव न रख

फ़ारूक़ शमीम

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