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Collection: नज़र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 80 - Darsaal

नज़र Poetry (page 80)

काबा भी घर अपना है सनम-ख़ाना भी अपना

फ़िगार उन्नावी

एक ख़्वाब-ओ-ख़याल है दुनिया

फ़िगार उन्नावी

जफ़ा-ए-यार को हम लुत्फ़-ए-यार कहते हैं

फ़िगार उन्नावी

चमन अपने रंग में मस्त है कोई ग़म-गुसार-ए-दिगर नहीं

फ़िगार उन्नावी

आरज़ू हसरत-ए-नाकाम से आगे न बढ़ी

फ़िगार उन्नावी

ज़िंदगी साज़-ए-शिकस्ता की फ़ुग़ाँ ही तो नहीं

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

तामीर-ए-नौ क़ज़ा-ओ-क़दर की नज़र में है

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

कुछ तो मुझे महबूब तिरा ग़म भी बहुत है

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

तुम कभी एक नज़र मेरी तरफ़ भी देखो

फ़ाज़िल जमीली

मैं अपने आप से आगे निकलने वाला था

फ़ाज़िल जमीली

शौक़ीन मिज़ाजों के रंगीन तबीअ'त के

फ़ाज़िल जमीली

सफ़ेद-पोशी-ए-दिल का भरम भी रखना है

फ़ाज़िल जमीली

मेरे होंटों पे तेरे नाम की लर्ज़िश तो नहीं

फ़ाज़िल जमीली

मैं जिस जगह हूँ वहाँ बूद-ओ-बाश किस की है

फ़ाज़िल जमीली

ख़िज़ाँ का रंग दरख़्तों पे आ के बैठ गया

फ़ाज़िल जमीली

ये दौर कैसा है या-इलाही कि दोस्त दुश्मन से कम नहीं है

फ़ाज़िल अंसारी

तोहफ़ा-ए-ग़म भी मिला दर्द की सौग़ात के बा'द

फ़ाज़िल अंसारी

न सनम-कदों की है जुस्तुजू न ख़ुदा के घर की तलाश है

फ़ाज़िल अंसारी

गुलज़ार में एक फूल भी ख़ंदाँ तो नहीं है

फ़ाज़िल अंसारी

बशर की ज़ात में शर के सिवा कुछ और नहीं

फ़ाज़िल अंसारी

ऐ कहकशाँ गुज़र के तिरी रहगुज़र से हम

फ़ाज़िल अंसारी

अदीब था न मैं कोई बड़ा सहाफ़ी था

फ़ाज़िल अंसारी

तेरी तस्वीर को तस्कीन-ए-जिगर समझे हैं

फ़ज़ल हुसैन साबिर

ये क्या बताएँ कि किस रहगुज़र की गर्द हुए

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

वही रिवायत गज़ीदा-दानिश वही हिकायत किताब वाली

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

सुलगना अंदर अंदर मिस्रा-ए-तर सोचते रहना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

पाया-ए-ख़िश्त-ओ-ख़ज़फ़ और गुहर से ऊँचा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

न दामनों में यहाँ ख़ाक-ए-रहगुज़र बाँधो

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

लहू ही कितना है जो चश्म-ए-तर से निकलेगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

लहू हमारी जबीं का किसी के चेहरे पर

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

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