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Collection: नज़र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 71 - Darsaal

नज़र Poetry (page 71)

आबले पावँ के क्या तू ने हमारे तोड़े

हैदर अली आतिश

आज यूँ दर्द तिरा दिल के उफ़ुक़ पर चमका

हाफ़िज़ लुधियानवी

मय-ख़ाने की सम्त न देखो

हफ़ीज़ मेरठी

सितम की तेग़ ये कहती है सर न ऊँचा कर

हफ़ीज़ मेरठी

गुदाज़-ए-दिल से मिला सोज़िश-ए-जिगर से मिला

हफ़ीज़ मेरठी

दार-ओ-रसन ने किस को चुना देखते चलें

हफ़ीज़ मेरठी

चाहे तन मन सब जल जाए

हफ़ीज़ मेरठी

क़सम निबाह की खाई थी उम्र भर के लिए

हफ़ीज़ जौनपुरी

यूँ तो हसीन अक्सर होते हैं शान वाले

हफ़ीज़ जौनपुरी

वो हसीं बाम पर नहीं आता

हफ़ीज़ जौनपुरी

उन की ये ज़िद कि मिरे घर में न आए कोई

हफ़ीज़ जौनपुरी

उन को दिल दे के पशेमानी है

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

क़ासिद ख़िलाफ़-ए-ख़त कहीं तेरा बयाँ न हो

हफ़ीज़ जौनपुरी

मोहब्बत क्या बढ़ी है वहम बाहम बढ़ते जाते हैं

हफ़ीज़ जौनपुरी

मिरे ऐबों की इस्लाहें हुआ कीं बहस-ए-दुश्मन से

हफ़ीज़ जौनपुरी

करना जो मोहब्बत का इक़रार समझ लेना

हफ़ीज़ जौनपुरी

हाए अब कौन लगी दिल की बुझाने आए

हफ़ीज़ जौनपुरी

दुनिया में यूँ तो हर कोई अपनी सी कर गया

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिया जब जाम-ए-मय साक़ी ने भर के

हफ़ीज़ जौनपुरी

बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है

हफ़ीज़ जौनपुरी

नासेह को बुलाओ मिरा ईमान सँभाले

हफ़ीज़ जालंधरी

नासेह को बुलाओ मिरा ईमान सँभाले

हफ़ीज़ जालंधरी

रक़्क़ासा

हफ़ीज़ जालंधरी

मेरी शाएरी

हफ़ीज़ जालंधरी

कृष्ण कन्हैया

हफ़ीज़ जालंधरी

अभी तो मैं जवान हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

ये क्या मक़ाम है वो नज़ारे कहाँ गए

हफ़ीज़ जालंधरी

वो अब्र जो मय-ख़्वार की तुर्बत पे न बरसे

हफ़ीज़ जालंधरी

उन को जिगर की जुस्तुजू उन की नज़र को क्या करूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

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