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Collection: नज़र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 4 - Darsaal

नज़र Poetry (page 4)

ख़ुद को समझा है फ़क़त वहम-ओ-गुमाँ भी हम ने

ज़िया जालंधरी

अपने अहवाल पे हम आप थे हैराँ बाबा

ज़िया जालंधरी

यूँ हसरतों की गर्द में था दिल अटा हुआ

ज़िया फ़तेहाबादी

तू ने नज़रों को बचा कर इस तरह देखा मुझे

ज़िया फ़तेहाबादी

नज़र नज़र से मिलाना कोई मज़ाक़ नहीं

ज़िया फ़तेहाबादी

मिरे जुनूँ में मिरी वफ़ा में ख़ुलूस की जब कमी मिलेगी

ज़िया फ़तेहाबादी

मैं जब भी तिरे शहर-ए-ख़ुश-ए-आसार से निकला

ज़िया फ़ारूक़ी

दिल बुझने लगा आतिश-ए-रुख़्सार के होते

ज़ेहरा निगाह

शाम का पहला तारा (2)

ज़ेहरा निगाह

कल रात ढले

ज़ेहरा निगाह

इंसाफ़

ज़ेहरा निगाह

एक फूल सा बच्चा

ज़ेहरा निगाह

डरो उस वक़्त से

ज़ेहरा निगाह

यूँ कहने को पैराया-ए-इज़हार बहुत है

ज़ेहरा निगाह

नक़्श की तरह उभरना भी तुम्ही से सीखा

ज़ेहरा निगाह

लब पर ख़मोशियों को सजाए नज़र चुराए

ज़ेहरा निगाह

हर आन सितम ढाए है क्या जानिए क्या हो

ज़ेहरा निगाह

गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे

ज़ेहरा निगाह

दिल बुझने लगा आतिश-ए-रुख़्सार के होते

ज़ेहरा निगाह

ये आँसू नहीं

ज़ीशान साहिल

सीढ़ियाँ..... एक मामूली मुकालिमा

ज़ीशान साहिल

सफ़ेद ख़रगोश की गेंद

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

ख़ुद-कुशी

ज़ीशान साहिल

कहीं बारिश हो चुकी है

ज़ीशान साहिल

गड़ही मेरा

ज़ीशान साहिल

ईमेल

ज़ीशान साहिल

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