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Collection: नज़र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 2 - Darsaal

नज़र Poetry (page 2)

उर्दू की शोहरा-ए-आफ़ाक़ वेब-साइट रेख़्ता की इल्मी-ओ-अदबी ख़िदमात पर मंज़ूम तअस्सुरात

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

यौम-ए-बर्क़

बिर्ज लाल रअना

मोहब्बत पर यक़ीं था जब

हमीदा शाहीन

ख़रगोश का ग़म

बलराज कोमल

नए आदमी का कंफ़ेशन

ग़ज़नफ़र

मरहला

दौर आफ़रीदी

मुर्ग़-ए-मरहूम

असद जाफ़री

मुग़ल की कार

असद जाफ़री

दुश्मन की तरफ़ दोस्ती का हाथ

मुनीर नियाज़ी

अलाव

बलराज कोमल

रात-दिन लब पे न हो क्यूँकि बयान-ए-देहली

ख़्वाब

तेरी नज़रों से यार उतर जाऊँ

लोग सब क़ीमती पोशाक पहन कर पहुँचे

जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था

इस दिल से मिरे इश्क़ के अरमाँ को निकालो

छुपे तो कैसे छुपे चमन में मिरा तिरा रब्त-ए-वालिहाना

अब भी जो लोग सर-ए-दार नज़र आते हैं

शहर-ए-आलाम का शहरयार आ गया

किस तवक़्क़ो' पे शरीक-ए-ग़म-ए-याराँ होंगे

सिलसिला-दर-सिलसिला जुज़्व-ए-अदा होना ही था

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

शुऊर-ओ-फ़िक्र से आगे निकल भी सकता है

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

गुम-कर्दा-राह ख़ाक-बसर हूँ ज़रा ठहर

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

आता है नज़र अंजाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

वो सानेहा हुआ था कि बस दिल दहल गए!

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

रवानी में नज़र आता है जो भी

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

दिल में रहता है कोई दिल ही की ख़ातिर ख़ामोश

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

सुनते हैं चमकता है वो चाँद अब भी सर-ए-बाम

ज़ुहूर नज़र

ज़ुल्म तो ये है कि शाकी मिरे किरदार का है

ज़ुहूर नज़र

रो लेते थे हँस लेते थे बस में न था जब अपना जी

ज़ुहूर नज़र

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