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Collection: नज़र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 128 - Darsaal

नज़र Poetry (page 128)

हुजूम ऐसा कि राहें नज़र नहीं आतीं

अहमद फ़राज़

गुफ़्तुगू अच्छी लगी ज़ौक़-ए-नज़र अच्छा लगा

अहमद फ़राज़

तसलसुल

अहमद फ़राज़

सरहदें

अहमद फ़राज़

मयूरका

अहमद फ़राज़

कर गए कूच कहाँ

अहमद फ़राज़

कनीज़

अहमद फ़राज़

काली दीवार

अहमद फ़राज़

दोस्ती का हाथ

अहमद फ़राज़

ऐ मेरे वतन के ख़ुश-नवाओ

अहमद फ़राज़

यूँ तो पहले भी हुए उस से कई बार जुदा

अहमद फ़राज़

उस ने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दिया

अहमद फ़राज़

तुझ से मिल कर तो ये लगता है कि ऐ अजनबी दोस्त

अहमद फ़राज़

तरस रहा हूँ मगर तू नज़र न आ मुझ को

अहमद फ़राज़

साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले

अहमद फ़राज़

फिर उसी रहगुज़ार पर शायद

अहमद फ़राज़

पयाम आए हैं उस यार-ए-बेवफ़ा के मुझे

अहमद फ़राज़

मुस्तक़िल महरूमियों पर भी तो दिल माना नहीं

अहमद फ़राज़

मैं तो मक़्तल में भी क़िस्मत का सिकंदर निकला

अहमद फ़राज़

क्या ऐसे कम-सुख़न से कोई गुफ़्तुगू करे

अहमद फ़राज़

जिस सम्त भी देखूँ नज़र आता है कि तुम हो

अहमद फ़राज़

हर आश्ना में कहाँ ख़ू-ए-मेहरमाना वो

अहमद फ़राज़

गुमाँ यही है कि दिल ख़ुद उधर को जाता है

अहमद फ़राज़

गुफ़्तुगू अच्छी लगी ज़ौक़-ए-नज़र अच्छा लगा

अहमद फ़राज़

फ़क़ीह-ए-शहर की मज्लिस से कुछ भला न हुआ

अहमद फ़राज़

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अहमद फ़राज़

आज मुझे अपनी आँखों से उस के क़ुर्ब की ख़ुशबू आई

अहमद फ़क़ीह

वक़्त के हर इक नक़्श का मअ'नी इतना बदला बदला होगा

अहमद फ़क़ीह

किसे ख़बर कि है क्या क्या ये जान थामे हुए

अहमद अज़ीम

वही दरिंदा

अहमद आज़ाद

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