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Collection: नज़र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 122 - Darsaal

नज़र Poetry (page 122)

दिल ही रह-ए-तलब में न खोना पड़ा मुझे

अख़तर मुस्लिमी

दरिया नज़र न आए न सहरा दिखाई दे

अख़तर मुस्लिमी

होश्यार कर रहा है गजर जागते रहो

अख्तर लख़नवी

अश्क जब दीदा-ए-तर से निकला

अख़तर इमाम रिज़वी

वो रंग-ए-तमन्ना है कि सद-रंग हुआ हूँ

अख़्तर होशियारपुरी

उफ़ुक़ उफ़ुक़ नए सूरज निकलते रहते हैं

अख़्तर होशियारपुरी

थी तितलियों के तआ'क़ुब में ज़िंदगी मेरी

अख़्तर होशियारपुरी

था एक साया सा पीछे पीछे जो मुड़ के देखा तो कुछ नहीं था

अख़्तर होशियारपुरी

शायान-ए-ज़िंदगी न थे हम मो'तबर न थे

अख़्तर होशियारपुरी

शाख़ों पे ज़ख़्म हैं कि शगूफ़े खिले हुए

अख़्तर होशियारपुरी

रुख़्सत-ए-रक़्स भी है पाँव में ज़ंजीर भी है

अख़्तर होशियारपुरी

मंज़िलों के फ़ासले दीवार-ओ-दर में रह गए

अख़्तर होशियारपुरी

क्या पूछते हो मुझ से कि मैं किस नगर का था

अख़्तर होशियारपुरी

कुछ नक़्श हुवैदा हैं ख़यालों की डगर से

अख़्तर होशियारपुरी

ख़्वाहिशें इतनी बढ़ीं इंसान आधा रह गया

अख़्तर होशियारपुरी

इक नूर था कि पिछले पहर हम-सफ़र हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

दिल में इक जज़्बा-ए-बेदाद-ओ-जफ़ा ही होगा

अख़्तर होशियारपुरी

दर्द की दौलत-ए-नायाब को रुस्वा न करो

अख़्तर होशियारपुरी

अपना साया भी न हम-राह सफ़र में रखना

अख़्तर होशियारपुरी

ज़ुल्म सहते रहे शुक्र करते रहे आई लब तक न ये दास्ताँ आज तक

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

ज़िंदगी होगी मिरी ऐ ग़म-ए-दौराँ इक रोज़

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

यूँ बदलती है कहीं बर्क़-ओ-शरर की सूरत

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

ये रंग-ओ-कैफ़ कहाँ था शबाब से पहले

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

यारों के इख़्लास से पहले दिल का मिरे ये हाल न था

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

शराब आए तो कैफ़-ओ-असर की बात करो

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

शाइरो हद्द-ए-क़दामत से निकल कर देखो

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

सहारा दे नहीं सकते शिकस्ता पाँव को

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

शोले भड़काओ देखते क्या हो

अख़्तर अंसारी

शोले भड़काओ देखते क्या हो

अख़्तर अंसारी

मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है

अख़्तर अंसारी

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