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Collection: भूमिका Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 26 - Darsaal

भूमिका Poetry (page 26)

सात दरियाओं का पानी है मिरे कूज़े में

दिलावर अली आज़र

मख़्फ़ी हैं अभी दिरहम-ओ-दीनार हमारे

दिलावर अली आज़र

लम्हा लम्हा वुसअत-ए-कौन-ओ-मकाँ की सैर की

दिलावर अली आज़र

कुछ भी नहीं है ख़ाक के आज़ार से परे

दिलावर अली आज़र

ख़ुद में खिलते हुए मंज़र से नुमूदार हुआ

दिलावर अली आज़र

खींच कर अक्स फ़साने से अलग हो जाओ

दिलावर अली आज़र

बना रहा था कोई आब ओ ख़ाक से कुछ और

दिलावर अली आज़र

किसी क़लम से किसी की ज़बाँ से चलता हूँ

धीरेंद्र सिंह फ़य्याज़

ज़रा निगाह उठाओ कि ग़म की रात कटे

द्वारका दास शोला

सौग़ात

दाऊद ग़ाज़ी

उस शकर-लब का मैं ख़याली हूँ

दाऊद औरंगाबादी

सूरत-ए-हाल अब तो वो नक़्श-ए-ख़याली हो गया

दत्तात्रिया कैफ़ी

राहत कहाँ नसीब थी जो अब कहीं नहीं

दत्तात्रिया कैफ़ी

लुत्फ़ हो हश्र में कुछ बात बनाए न बने

दत्तात्रिया कैफ़ी

रौंदे है नक़्श-ए-पा की तरह ख़ल्क़ याँ मुझे

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

ख़्वाब का क्या है रात के नक़्श-ओ-निगार बनाओ

दानियाल तरीर

ख़्वाब का क्या है रात के नक़्श-ओ-निगार बनाओ

दानियाल तरीर

एक बुझाओ एक जलाओ ख़्वाब का क्या है

दानियाल तरीर

किस क़दर इज़्तिराब है यारो

दानिश फ़राही

एक दिन नक़्श-ए-क़दम पर मिरे बन जाएगी राह

दामोदर ठाकुर ज़की

उन के मिलने का ब-ज़ाहिर तो यक़ीं कोई नहीं

दामोदर ठाकुर ज़की

इस क़दर नाज़ है क्यूँ आप को यकताई का

दाग़ देहलवी

इन आँखों ने क्या क्या तमाशा न देखा

दाग़ देहलवी

डरते हैं चश्म ओ ज़ुल्फ़ ओ निगाह ओ अदा से हम

दाग़ देहलवी

किसी ने बा-वफ़ा समझा किसी ने बेवफ़ा समझा

डी. राज कँवल

दिलकशी नाम को भी आलम-ए-इम्काँ में नहीं

चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी

मर्सिया गोपाल कृष्ण गोखले

चकबस्त ब्रिज नारायण

दिल किए तस्ख़ीर बख़्शा फ़ैज़-ए-रूहानी मुझे

चकबस्त ब्रिज नारायण

सुलगती रेत में इक चेहरा आब सा चमका

बृजेश अम्बर

असीरान-ए-क़फ़स सेहन-ए-चमन को याद करते हैं

भारतेंदु हरिश्चंद्र

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