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Collection: मख़गां Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

मख़गां Poetry

दिल में वीरानियाँ सिसकती हैं

अनवर ख़लील

एक लड़की

ज़ेहरा निगाह

महशरिस्तान-ए-जुनूँ में दिल-ए-नाकाम आया

ज़रीफ़ लखनवी

नियाज़-ओ-नाज़ के साग़र खनक जाएँ तो अच्छा है

ज़ेब बरैलवी

हर गुल-ए-ताज़ा हमारे हाथ पर बैअत करे

ज़हीर सिद्दीक़ी

मैं हूँ वहशत में गुम मैं तेरी दुनिया में नहीं रहता

ज़हीर काश्मीरी

यहाँ किसी को भी कुछ हस्ब-ए-आरज़ू न मिला

ज़फ़र इक़बाल

कौन याद आया ये महकारें कहाँ से आ गईं

ज़फ़र गोरखपुरी

याद-ए-ख़ुदा से आया न ईमाँ किसी तरह

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

महशर का हमें क्या ग़म इस्याँ किसे कहते हैं

वज़ीर अली सबा लखनवी

सुनो उजड़ा मकाँ इक बद-दुआ है

वज़ीर आग़ा

कभी दर्द-आश्ना तेरा भी क़ल्ब शादमाँ होगा

वासिफ़ देहलवी

सुर्ख़ दामन में शफ़क़ के कोई तारा तो नहीं

वामिक़ जौनपुरी

उधर वो बे-मुरव्वत बेवफ़ा बे-रहम क़ातिल है

वलीउल्लाह मुहिब

साथ ग़ैरों के है सदा गट-पट

वलीउल्लाह मुहिब

सनम ने जब लब-ए-गौहर-फ़शान खोल दिए

वलीउल्लाह मुहिब

राएगाँ औक़ात खो कर हैफ़ खाना है अबस

वलीउल्लाह मुहिब

मय-ए-गुल-गूँ के जो शीशे में परी रहती है

वलीउल्लाह मुहिब

नंग नहीं मुझ को तड़पने से सँभल जाने का

वली उज़लत

इक तीर नहीं क्या तिरी मिज़्गाँ की सफ़ों में

तौसीफ़ तबस्सुम

यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ

तालिब बाग़पती

रौनक़ें आबादियाँ क्या क्या चमन की याद हैं

तालिब अली खान ऐशी

इश्क़ क्यूँ रुस्वा हुआ अपना सर-ए-राहे गाहे

तल्हा रिज़वी बारक़

हर एक रस्ता-ए-पायाब से निकलना है

ताहिर अदीम

बंद-ए-ग़म मुश्किल से मुश्किल-तर खुला

ताबिश देहलवी

अश्कों के गुहर यूँ सर-ए-मिज़्गाँ भी न तोलें

तबस्सुम रिज़वी

तिरे मिज़्गाँ की फ़ौजें बाँध कर सफ़ जब हुईं ख़ड़ियाँ

ताबाँ अब्दुल हई

मुझे ऐश ओ इशरत की क़ुदरत नहीं है

ताबाँ अब्दुल हई

किस से पूछूँ हाए मैं इस दिल के समझाने की तरह

ताबाँ अब्दुल हई

याद-ए-अय्याम कि हम-रुतबा-ए-रिज़वाँ हम थे

तअशशुक़ लखनवी

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