मिल Poetry (page 6)

रात कई आवारा सपने आँखों में लहराए थे

उनवान चिश्ती

जो तीर आया गले मिल के दिल से लौट गया

उमर अंसारी

हर इक का दर्द उसी आशुफ़्ता-सर में तन्हा था

उमर अंसारी

वो तो मिल कर भी नहीं मिलती है

त्रिपुरारि

मौज-ए-ख़याल में न किसी जल-परी में आए

तौक़ीर तक़ी

शब-ए-तारीक हूँ नूर-ए-सहर होने की ख़्वाहिश है

तौक़ीर रज़ा

कर के सारी हदों को पार चला

तौक़ीर अहमद

थकन की तल्ख़ियों को अरमुग़ाँ अनमोल देती है

ताैफ़ीक़ साग़र

मिल जाए अमाँ दुनिया में पल भर नहीं लगता

तस्लीम अहमद तसव्वुर

तेरी वफ़ा का हम को गुमाँ इस क़दर हुआ

तासीर सिद्दीक़ी

लगा के ग़ोता समुंदर में तुम गुहर ढूँडो

तासीर सिद्दीक़ी

चलो के मिल के बदल देते हैं समाजों को

तासीर सिद्दीक़ी

आज ख़ुद को तबाह कर लेंगे

तरुणा मिश्रा

ज़ेहन पर बोझ रहा, दिल भी परेशान हुआ

तारिक़ क़मर

ज़ेहन पर बोझ रहा, दिल भी परेशान हुआ

तारिक़ क़मर

सारे ज़ख़्मों को ज़बाँ मिल गई ग़म बोलते हैं

तारिक़ क़मर

अभी फिर रहा हूँ मैं आप-अपनी तलाश में

तारिक़ नईम

मुझे ज़िंदगी से ख़िराज ही नहीं मिल रहा

तारिक़ नईम

है किस का इंतिज़ार खुला घर का दर भी है

तारिक़ बट

कितना बोद है मेरे फ़न और पेशे के माबैन

तनवीर सिप्रा

आज भी 'सिपरा' उस की ख़ुश्बू मिल मालिक ले जाता है

तनवीर सिप्रा

तन्हाई के फ़न में कामयाब

तनवीर अंजुम

राएगाँ सुब्ह की चिता पर

तनवीर अंजुम

कोई आवाज़ नहीं

तनवीर अंजुम

इश्क़ क्यूँ रुस्वा हुआ अपना सर-ए-राहे गाहे

तल्हा रिज़वी बारक़

लब तक आया गिला हमेशा से

ताजदार आदिल

जो मिल गया है यहाँ जल्वा-ए-ख़याली है

ताजदार आदिल

पहाड़ों को बिछा देते कहीं खाई नहीं मिलती

तफ़ज़ील अहमद

देर तक मिल के रोते रहे राह में

ताबिश मेहदी

दश्त-ए-तन्हाई बादल हवा और मैं

ताबिश मेहदी

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